हजारों बेगुनाह इंसान, चाहे वे मुसलमान हों या ईसाई या किसी अन्य धर्म के मानने वाले हों, आईएसआईएस, अलकाएदा और ऐसी अनेक दूसरी आतंकवादी संगठनों के हाथों बेदर्दी से मारे जा चुके हैं। यह सब कुछ किया जा रहा है इस्लाम और पैगम्बर मौहम्मद के नाम पर। इन संगठनों ने जुल्म और बरबरियत का जो नंगा नाच खेला है, वह भी एक अहम सबब है कि पश्चिमी देशों ने इस्लाम और पैगम्बर मौहम्मद को ही बुरा कहना और समझना शुरू कर दिया है।
क्या आप को आज तक किसी ने बताया है कि पैगम्बर मौहम्मद ने जहां आने वाले समय के लिए बहुत सी अन्य भविष्यवाणियां की हैं वहीं उन्होंने इन आतंकी संगठनों के बारे में भी अनेक भविष्यवाणियां कर दी थीं जो 1200 साल पहले छपी मुसलमानों की किताबों में आज भी मौजूद हैं। यह आतंकी संगठन भले ही खुद को कितना इस्लाम से जोड़ पर पेश करें परन्तु पैगम्बर मौहम्मद ने इनको खारजी क्हा है यानी वह लोग जो इस्लाम से बाहर निकल गये और इनको मार डालने तक का हुक्म दिया है। गौरतलब है कि यह सारी भविष्यवाणियां आखिरी समय में इमाम मेहदी अर्थात कलकी अवतार के आने से पहले के हालात बताते हुए की गईं।
आईए, पहले पढ़ें कि पैगम्बर मौहम्मद ने खारजी लोगों के बारे में क्या भविष्यवाणी की हैंः-
सही बुखारी की किताब इस्तेनबातुल मुरतदीन वल मुआनेदीन व कतआलोहुम, चैप्टर ‘कतलुल खवारिज वल मुलहेदीन बाद इकामतुल हुज्जत’ 6ः 2539 में और सही मुस्लिम, किताबुज जकात, चैप्टर ‘अल-तहरीज अलल कत्लुल खवारिज, 2ः746’ में पैगम्बर मौहम्मद की खारजियों यानी ख्वारिज के बारे में भविष्यवाणी है कि ‘यह कमसिन लड़के होंगे।’ इससे साफ है कि यह नवजवानों को गुमराह करेंगे।
यही हदीस इन ख्वारिज के बारे में लिखती है कि यह ‘दिमागी तौर पर नापुख्ता होंगे’ यानी यह अकल नहीं रखते होंगे।
सही बुखारी की किताबुल मगाजी 4ः1581 और सही मुस्लिम की किताबुज जकात के चैप्टर ‘जिकरूज खवारिज व सिफातेहिम’ 2ः742 में इनके बारे में लिखा है कि ये ‘घनी दाढ़ी रखेंगे।’ इसी हदीस में इनके बारे में लिखा है कि ये ‘बहुत ऊंचा तह बंद बांधने वाले होंगें’ अर्थात टखनों से ऊपर पैजामे पहनेंगे।
इसी तरह सही बुखारी की किताबुत तौहीद में है कि ‘‘यह खारजी लोग पूरब की जानिब से - हरमैन शरीफैन से - निकलेंगे।’’
जो लोग यह समझते हैं कि इनको मार कर खत्म किया जा सकता है उनके लिये भी भविष्यवाणी है। सुनन निसाई में पैगम्बर मौहम्मद की भविष्यवाणी है कि ‘‘ये हमेशा निकलते ही रहेंगे यहां तक कि इनका आखिरी गिरोह दज्जाल के साथ निकलेगा।’’ इससे साफ हो जाता है कि यह सबसे खराब लोग होंगे जो इमाम मेहदी यानी कलकी अवतार के साथ भी लड़ने को निकलेंगे। इनसे लड़ने और इनको मार डालने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं क्यों कि यह अकल नहीं रखते।
सही बुखारी और सही मुस्लिम में इन ख्वारिज के बारे में लिखा है कि ‘‘ईमान इन के हलक - गले - से नीचे नहीं उतरेगा।’’ इसी तरह किताब अबू मसनद में है कि ‘‘वह इबादत और दीन में बहुत मुतशद्दिद और इंतेहापसन्द होेंगे।’’ यानी इबादत बहुत करेंगे लेकिन इबादत का मकसद नहीं समझेंगे इसलिए गुमराह होंगे।
सही बुखारी और सही मुस्लिम की एक और हदीस बताती है कि हालांकि हम उन्हें इस्लाम के उसूलों पर चलते हुये समझेंगे लेकिन इनका इस्लाम से कोई नाता नहीं होगा। लिखा हैः ‘‘तुम में से हर एक इनकी नमाजों के मुकाबले में अपनी नमाजों को हकीर - तुच्छ - जानेगा और इनके रोजों के मुकाबले में अपने रोजों को हकीर जानेगा।’’ सही मुस्लिम में है कि पैगम्बर मौहम्मद ने क्हा कि ‘‘नमाज इनके हलक से नीचे नहीं उतरेगी।’’ सही मुस्लिम यह भी लिखती है कि ‘‘वह कुरान मजीद की ऐसे तिलावत करेंगे कि उनकी तिलावते कुरान - कुरान पढ़ने के तरीके - के सामने तुम्हें अपनी तिलावत की कोई हैसियत दिखाई न देगी।’’ सही बुखारी और सही मुस्लिम यह भी लिखती है कि ‘‘इनकी तिलावत - कुरान पढ़ना - इनके हलक - गले - से नीचे नहीं उतरेगी।’’ यानी कुरान में क्या लिखा है यह समझ भी न पायेंगे। सही मुस्लिम कहती है कि ‘‘वह ये समझ कर कुरान पढ़ेंगे कि उसके अहकाम उनके हक में हैं लेकिन दरहकीकत वो कुरान उनके खिलाफ हुज्जत होगा।’’ यानी कुरान ही उनके गलत राह पर होने की दलील देगा। किताब सुनन इब्ने दाऊद में भविष्यवाणी है कि ‘‘वह लोगों को किताबुल्लाह - अल्लाह की किताब यानी कुरान - की तरफ बुलायेंगे लेकिन कुरान के साथ उनका कोई ताल्लुक - सम्बंध - नहीं होगा।’’
सही बुखारी और सही मुस्लिम कहती है कि ‘‘वह - देखने में - बड़ी अच्छी बातें करेंगे।’’ इसी तरह तिबरानी में लिखा है कि ‘‘उनके नारे और दिखावटी बातें दूसरे लोगों से अच्छी होंगी और मुतास्सिर करने वाली होंगी।’’ लेकिन सुनन इब्ने दाऊद उनके बारे में लिखती है किः ‘‘मगर वह किरदार - चरित्र - के लिहाज से बड़े जालिम, खूंख्वार और घिनांवने लोग होंगे।’’ सही मुस्लिम भी उनके बारे में पैगम्बर मौहम्मद की भविष्यवाणी करती है कि ‘‘वह तमाम मखलूक - जीवों - से बदतरीन - सब से खराब - लोग होंगे।’’
ख्वारिज यानी खारजियों के बारे में भविष्यवाणी करते हुये किताब सुनन इब्ने अबी आसिम में लिखा है कि ‘‘वह हुकूमते वक्त या हुक्मरानों के खिलाफ खूब तानाजनी करेंगे और उनपर गुमराही व जलालत का फतवा लगायेंगे।’’ क्या यह सही नहीं है कि यह ख्वारिज दुनिया की विभिन्न हुकूमतों के खिलाफ गुमराही के फतवे लगाते हैं?
सही बुखारी की किताबुल मनाकिब और सही मुस्लिम कि किताबुज जकात इन ख्वारिज के बारे में बताती है कि ‘‘वह उस वक्त मंजरे आम पर - यानी हमारे सामने - आयेंगे जब लोगों में तफरेका और इख्तेलाफ पैदा हो जायेगा।’’ सही मुस्लिम और सही मुस्लिम कहती है कि ‘‘वह मुसलमानों को कत्ल करेंगे और बुत परस्तों को छोड़ देंगे।’’ यह भविष्यवाणी भी सही हो चुकी है क्योंकि इन्होंने सीरिया, इराक, पाकिस्तान आदि हर देश में अधिकतर मुसलमानों को ही कत्ल किया है और अम्नपसन्द मुसलमानों का खून बहाना ये जाएज समझते हैं और उनके काफिर होने का फतवा लगाते हैं यहां तक कि मस्जिदों में भी खून बहाने से नहीं चूकते जब्कि कुरान में मस्जिदों में नमाज न पढ़ने देने वालों के बारे में साफ आयतें हैं। सही मुस्लिम यह भी कहती है कि ‘‘वे नाहक खुन बहायेंगे’’ यानी बेगुनाहों का खून बहायेंगे।
हजरत आयेशा ने पैगम्बर मौहम्मद से सुन कर ख्वारिज के बारे में हदीस ब्यान की है जो किताब मुस्तदरक में आज भी मौजूद है कि ‘‘वह राहजन - लुटेरे - होंगे, नाहक - बेगुनाहों का - खून बहायेंगे जिस का अल्लाह तआला ने हुक्म नहीं दिया और गैर मुस्लिम अकलियतों - दूसरे धर्म पर चलने वाले अल्पसंख्यक - के कत्ल को हलाल समझेंगे।’’ जिस तरह इन आतंकवादियों ने जापानी, अमरीकी, ब्रिटिश और पाकिस्तान और भारत में हिन्दुओं का बेरहमी से कत्ल किया है इससे यह बात साबित हो जाती है कि पैगम्बर मौहम्मद को 1400 वर्ष पहले इनकी करतूतों की जानकारी थी और पता था कि इनकी करतूतों को इस्लाम से जोड़कर देखा जायेगा इसलिए उन्होंने उसी समय इनके बारे में भविष्यवाणी कर दी थी।
किताब तबरी में इब्ने अब्बास पैगम्बर मौहम्मद की ख्वारिजों के बारे में हदीस यानी कथन बताते हैं कि ‘‘वह कुरान की मोहकम आयात पर ईमान लायेंगे जब्कि उसकी मुश्तबेहात के सबब हलाक होंगे।’’ कुरान में हलाक होने का अर्थ रूह यानी आत्मा का उस पस्ती तक गिरना है जहां पहुंच कर इंसान भले ही जिन्दा हो पर मरे हुओं के बराबर हो जाता है। कुरान के अनुसार और गीता के अनुसार भी आत्मा की मौत ही अस्ली मौत होती है।
हजरत अली का कथन भी सही मुस्लिम में दर्ज है जिसके अनुसार ‘‘वह जबानी कलामी हक बात कहेंगे, मगर वह उनके हलक से नीचे नहीं उतरेगी।’’ इसके मायनी यह हुये कि वे भले ही अच्छी बातें बोलते दिखायी देंगे लेकिन वह स्वयं उनपर नहीं चल रहे होंगे।
हजरत इब्ने उमर के द्वारा ब्यान की गयी पैगम्बर मौहम्मद की हदीस भी सही बुखारी में मौजूद है जिसके अनुसार ‘‘वह कुफ्फार के हक में नाजिल होने वाली आयात को मुसलमानों पर नाफिज करेंगे। इस तरह वह दूसरे मुसलमानों को गुमराह, काफिर और मुश्रिक करार देंगे ताकि उनका नाजायज कत्ल कर सकें।’’ यह तो जगजाहिर है कि ये खारजी मुसलमानों के दूसरे फिरकों जैसे कुर्द, शियों, सुन्नियों वगैरा का कत्ल करना जाएज करार देते हैं। अफसोस की बात यह है कि मुसलमानों की इन आतंकवादियों के बारे में पैगम्बर मौहम्मद की हदीसें और भविष्यवाणियां मुसलमानों की सबसे भरोसेमंद समझी जाने वाली किताबों में भरी होने के बावजूद अधिकतर मुसलमान इन आतंकवादियों को बुरा नहीं कहते शायद इसलिए कि मारे जाने वाले उनके अपने नहीं है। या इसलिए कि इनके बारे में बोलने से डरते हैं। ऐसे मुसलमानों के बारे में भी पैगम्बर मौहम्मद का कथन है कि यदि तुम किसी भी बेगुनाह पर जुल्म होते देखो और जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाओ तो तुम मुसलमान नहीं हो। पैगम्बर मौहम्मद ने यह नहीं कहा कि मुसलमान के खिलाफ जुल्म होते देखो तो आवाज उठाओ बल्कि इंसान कहा है। कुफफार कौन हैं यह जानना हो तो मेरी पहले की पोस्ट पढ़ें। कुफफार का अर्थ यह निकालने न बैठ जाईयेगा कि यह हिन्दू, ईसाई या यहूदी हैं।
ख्वारिज के बारे में सही बुखारी और सही मुस्लिम दोनों किताबें पैगम्बर मौहम्मद का कथन लिखती हैं कि ‘‘वह दीन से यूं खारिज हो चुके होंगे जैसे तीर शिकार से खारिज हो जाता है।’’ इससे भी साफ हो जाता है कि ये आतंकवादी पथभ्रष्ट होंगे और इस्लाम से इनका कोई रिश्ता नहीं होगा भले ही ये चिल्ला चिल्ला कर अपने आप को मुसलमान कहें।
आगे सुनो पैगम्बर मौहम्मद क्या कहते हैं। इनसे लड़ना भी तुम्हारे लिये अच्छा है, इन्हें कत्ल करना भी अच्छा है और इनके हाथों यदि कत्ल हो गये तो वह भी तुम्हारे लिये अच्छा है क्योंकि इनके हाथों मरने वाला शहीद होगा। किताब सही मुस्लिम कहती है कि ‘‘इनके कत्ल करने वाले को अजरे अजीम मिलेगा’’ यानी जो इन्हें कत्ल करेगा उसको अल्लाह की तरफ से इनाम मिलेगा। सुनने तिरमीजी कहती है कि ‘‘वह शख्स - आदमी - बेहतरीन मकतूल - शहीद - होगा जिसे वह कत्ल कर देंगे।’’ किताब सुनन तिरमीजी खारजियों के बारे में कहती है कि ‘‘वह आसमान के नीचे बदतरीन मकतूल होंगे’’ यानी सब से खराब जीव जिनका कत्ल किया जाना चाहिये। सुनन तिरमीजी यह भी लिखती है कि ‘‘बेशक वह - ख्वारिज - जहन्नुम के कुत्ते होंगे।’’
कुरान कहता है कि अल्लाह अपने बन्दों के लिए साफ साफ शब्दों में आयतें नाजिल करता है। अल्लाह के रसूल पैगम्बर मौहम्मद ने भी साफ साफ शब्दों में भविष्यवाणी कर दी कि तुम इन आतंकवादियों के बारे में किसी तरह के शक या मुगालते में न गिरफतार हो भले ही यह तुमको बड़े नमाज पढ़ने वाले, कुरान पढ़ने वाले और रोजा रखने वाले दिखाई दें। पैगम्बर मौहम्मद यह भी जानते थे कि तुम इनकी करतूत को इस्लाम और उनकी शिक्षा व तालीम से जोड़ने की कोशिश करोगे इसलिये उन्होंने आखिरी जमाने तक के लिये यह साफ कर दिया कि इनका इस्लाम से और पैगम्बर मौहम्मद की शिक्षा व तालीम से कोई ताल्लुक नहीं है। इन भविष्यवाणियों से एक और बात जो साबित होती है वह यह कि पैगम्बर मौहम्मद का अल्लाह यानी ईश्वर से कोई न कोई सम्बंध अवश्य था। जिस तरह उनकी अनेक दूसरी भविष्यवाणियां साबित हो गईं उसी तरह यह भविष्यवाणियां भी हमारे लिये साफ साफ निर्देश हैं।
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