बात शिव की हो रही थी। मौहम्मद अलवी ने कहा कि शिव महादेव हैं जो देवों में भी आदर्णीय हैं और शिव आखिरी बार मानव शरीर में अवतरित हुए तो अरब के काबा में पैदा हुए और अली कहलाए। यह बात मौहम्मद अलवी ने कही तो कुछ लोग बहुत नाराज हो गए और मौहम्मद अलवी को bastard यानी कमीना तक कह डाला। पर मौहम्मद अलवी जो कुछ कहता है उसको किताबों से साबित भी करता है।
हिमा अग्नि का कहना है कि शिव अयोणिज्य हैं और कभी भी स्त्री की कोख से पैदा नहीं हुए। उनका कहना है कि शिव समय से परे है और कभी भी पैदा नहीं हुए और न अवतरित हुए। वह यह भी कहते हैं कि केवल विष्णू ही अवतरित होते हैं और शिव कभी नहीं हुए। उनका यह भी कहना है कि वे किसी मुस्लिम से इस विषय पर बातचीत करने को तैयार नहीं। मौहम्मद अलवी ने कहा कि यदि वे समझना चाहते हैं तो वेद, उपनिषद, गीता और पुराण से बातचीत करें पर उन्होंने बातचीत करने से मना कह दिया। हां मौहम्मद अलवी को तीन बार कमीना अवश्य कह डाला। हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्द वापिस भी ले लिए।
इस लेख के अंत में हम हिमा अग्नि, सुभास बोस और नागेन्द्र सैट्टी से हुई पूरी बातचीत लिख रहें हैं। परन्तु पहले वेद से ही देखिए कि क्या शिव कभी मानव शरीर में अवतरित हुए कि नहीं?
शिव को महादेव कहा जाता है। इसका अर्थ है कि शिव देवों में सबसे शीर्ष स्थान रखते हैं। ‘देव’ का मूल शब्द ‘दिव्य’ अर्थात नूर है। इसका अर्थ यह है कि शिव नूर से बने हैं और तमाम देवों में शिव को खास मकाम हासिल है। शिव को रूद्र और मारूत भी कहा जाता है हालांकि वेदानुसार रूद्र और मारूत एक से अधिक हैं। पैगम्बर मौहम्मद अपनी जिन्दगी में बार बार कहते रहे कि जब पहला मनुष्य बना तो उस समय भी उनका नूर बनाया जा चुका था। वह यह भी कहते रहे कि अली और वह एक ही नूर के दो टुकड़े हैं। और उन्होंने कहा कि नूर से नूर पैदा हुआ और तमाम नूर एक समान हैं। कुरान बार बार इस नूर की बात करता है और नूर के विपरीत जुलमत अर्थात तमस का शब्द प्रयोग करता है जिसका अर्थ है शैतानी ताकतें अर्थात गुमराह करने वाली ताकतें। इसका अर्थ यह हुआ कि नूर की खिलकत का मकसद मानवता को ईश्वर का मार्ग दिखाना है और आत्मा को परमात्मा तक ले जाना है जब्कि जुलमत की पैदाईश का मकसद मानवता को गुमराह करना है। नूर के रास्ते पर मोक्ष है। यही कारण है कि जुलमत की सबसे बड़ी दुश्मन यह नूरानी ताकतें हैं। इसी का उल्लेख वेदों ने किया तो सही अर्थ न समझ पाने के कारण लोगों ने यह मतलब निकाले कि किसी पुरातन काल में देवताओं और असुरों में भीषण लड़ाईयां हुईं थीं। अनेक कहानियां देवताओं और असुरों की लड़ाई की लोगों में आम हो गईं जो आज भी टीवी पर धारावाहिकों में देखी जा सकती हैं। अफसोस की बात है कि जहां गीता कह रही है कि जिसने देवताओं को अर्पित किए बिना खाना खाया वह चोर है हम तो उनको पहचानते भी नहीं हैं खाना क्या अर्पित करेंगे। वेद कहते हैं कि देवता हमारी इंद्रियों के शासक हैं और हम न तो जानते हैं कि देवता कौन हैं और न ही जानने की चिंता करते हैं। ब्रहद अराण्यका, पिंगल, मैत्रीय यहां तक कि हर उपनिषद देवताओं के रोल को समझा रहे हैं परन्तु हम जानने की चिंता ही नहीं करते कि देवता कौन हैं और उनका हमसे और ईश्वर से क्या सम्बंध है। समूचे वेद केवल देवताओं को ही पहचनवाने का काम कर रहे हैं परन्तु हमारी जिन्दगी में देवताओं का न तो कोई महत्व है और न उनकी समझ है।
जैसा मैंने कहा, वेद देवताओं के उल्लेख से भरे पड़े हैं। तमाम वेदों को छोड़ हम केवल ऋगवेद दो भजनों को पेश कर रहे हैं जो सबूत है कि देवताओं को आने वाले समय में अवतरित होना था। जब यह देवता मानव शरीर में आए तो अहलेबैत कहलाए। अहलेबैत का अर्थ है ‘घर के लोग’ और चूंकि मक्का में स्थित काबा को बैतुल्लाह यानी ‘ईश्वर का घर’ कह कर सम्बोधित किया जा चुका था, यह अहलेबैत ‘ईश्वर के घर लोग’ हुए। स्वर्ग में वास करने वाले देवताओं का नूर जो आदम यानी पहले मनु की पैदाईश से पहले पैदा हुआ था एक के बाद एक मानव शरीर में अवतरित हुआ तो अहलेबैत अर्थात ‘ईश्वर के घर के लोग’ कहलाए। अली जो अहलेबैत में इमामों के इमाम हैं और फातिमा के पति हैं और जिन्होंने चमत्कारिक रूप से काबा के अन्दर जन्म लिया वह ही मारूत में सबसे श्रेष्ठ, रूद्रों में अग्रणी और देवों के देव हैं। आईए देखें कि क्या ऋगवेद की पहली पुस्तक का पांचवा और छठा भजन इंद्र देव और मारूत का फिर से मानव शरीर में पैदा होने की बात कर रहा है कि नहीं।
मंत्र 5 इंद्र देव तो समर्पित है। परन्तु ऐसा नहीं है कि इस में केवल इंद्र देव की ही बात हो रही है। मंत्र के प्रारम्भ में ही वायु देव की भी बात हो रही है जो कोई और नहीं बल्कि शिव ही हैं। आम तौर पर हिन्दु वायु देव और शिव को अलग अलग मानते हैं परन्तु मैं यह साबित कर सकता हूं कि यह दोनों एक ही हैं। इस मंत्र में वेद वायु और इंद्र देव को एक समान बताता है जिससे कई लोग यह निष्कर्श निकालते हैं कि वायु और इंद्र एक ही हैं परन्तु दरअस्ल यहां पर दोनों को एक नहीं बताया जा रहा बल्कि बिलकुल एक समान कहा जा रहा है। मौहम्मद ने कहा कि अली और मैं एक ही नूर के दो टुकड़े हैं और विभिन्न उपनिषद हमें बताते हैं कि कैसे परमात्मा का एक नूर दो नूर में विभाजित हुआ जो पहले नूर, जिससे विभाजन हुआ, के एकदम समान थे। शतपथ ब्राहमण भी यही कहता दिखाई देता है।
Shatapath Brahmana 4.1.3.19 says:
One who is Vayu is Indra and Indra is Vayu.
हम जो बात नहीं समझ पाए वह यह कि यहां पर दोनों देवताओं के एक समान रोल की बात हो रही है ठीक वैसे ही जैसे मौहम्मद ने 14 के 14 नूर को एक समान बताने के लिए कहा कि हम में से पहला मौहम्मद है, आखिरी मौहम्मद है, बीच का मौहम्मद है, सब के सब मौहम्मद हैं।
इस भजन का दूसरा मंत्र बताता है कि देवता अदालत करता है और कुकर्मियों को सजा देता है, पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक हर किसी का आका है और अच्छे लोगों को विभिन्न प्रकार से पुरस्कृत करता है। मंत्र 4 में बताया जाता है कि हमको इंद्र की उपासना करना चाहिए जिसकी ताकत और शक्ति सारी सृष्टि में काम कर रही है। सबसे रोचक बात यह है कि हदीसे किसा में जिसको मुसलमान पढ़ा करते हैं परमात्मा कहता है कि यह चंद्रमा, यह सितारे, यह सूर्य, यह धरती सब कुछ उसने इन्हीं अहलेबैत के कारण बनाए गए। अली के कई वक्तव्य बताते हैं कि पृथ्वी से लेकर आकाश का उनका क्या रोल है और यह अहलेबैत स्वर्ग में भी वास करते रहे हैं।
बात क्या हो रही है इसको न समझ पाने के कारण ऋषि दयानंद सरस्वती कहते हैं कि इस मंत्र में और अनेक दूसरे मंत्रों में ईश्वर अपनी बहुत ही छोटी कृति सूर्य की बार बार प्रशंसा कर रहा है। परन्तु ऐसा नहीं है। जिस प्रकार वायु देव का अर्थ हवा नहीं, उसी प्रकार अग्नि देव का अर्थ सूर्य या आग नहीं। अग्नि देव वह देवता हैं जिनके बारे में ऋगवेद की पहली पुस्तक के चैथे भजन के 8वें मंत्र में कहा जा रहा है कि हम को उस बहादुर, सत्यवान और धार्मिक व्यक्ति की सहायता करना चाहिए जो अधर्मी दुश्मनों से लड़ाई लड़ रहा है। इस मंत्र में उस समय के लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि वे अधर्मियों के खिलाफ अग्नि देव और उनके साथियों की लड़ाई में उनके साथ अडिग और साबितकदम रहें और इन सच्चे बहादुरों का अधर्मियों के खिलाफ लड़ाई में साथ दें। चारों वेदों में सबसे अधिक अग्निदेव का उल्लेख है। इन उल्लेखों को पढ़कर हमने निष्कर्श निकाला है कि अग्निदेव कोई और नहीं बल्कि अली और फातिमा के पुत्र हुसैन हैं जिनको अधर्मियों ने करबला की लड़ाई में बरबरतापूर्वक शहीद कर दिया।
भजन 5 का मंत्र 6 से 9 बताता है कि हालांकि यह देवतागण इतने ताकतवर हैं और उनकी ताकत तमाम सृष्टि को संचालित करती है, उनका ज्ञान केवल अकलमंदों को ही हो पाता है। इसका अर्थ है कि देवताओं की समझ हर किसी के बस से बाहर है। यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को इनकी पहचान हो जाती है वही सबसे बेहतरीन व्यक्ति हो जाता है और तमाम बेहतरी उसमें आ जाती है। जैसे मैं ने पहले कहा कि जुलमत अर्थात तमस की गुमराह करने वाली शक्ति कभी भी नहीं चाहती कि हमको नूर की समझ पैदा हो और इस लिए वह हमको गुमराह करने में लगी रहती है।
इस भजन के मंत्र 6, 7 और 9 में सोमरस की बात हुई है। लोग आज तक समझ नहीं पाए कि सोमरस क्या है। कुछ लोग कहते हैं कि सोमरस स्वर्ग का कोई पेय है। यह भी कहा जाता है कि इंद्र हर समय सोमरस पिए रहते थे जिससे कुछ लोग यह निष्कर्श निकालते हैं कि सोमरस कोई शराब है। परन्तु हकीकत यह है कि सोमरस को अरबी में आबे कौसर अर्थात स्वर्ग का पानी के अर्थ में प्रयोग किया गया है परन्तु इसका अर्थ होता है शहादत पेश करना या ईश्वर की राह में शहीद कर दिए जाना। मानव शरीर में देवता आए तो अली, हसन, हुसैन और दूसरों को अधर्मी लोगों ने शहीद कर दिया। इस मायनी में सोमरस का प्रयोग हुआ है। करबला में शहीद होने वालों के लिए भी कहा जाता है कि वे आबे कौसर से सेराब हो गये। बार बार सोमरस शब्द का प्रयोग होने से लोगों ने धारणा बना ली कि इंद्र हर समय सोमरस पिए रहते थे जब्कि हकीकत में वेद उस समय को पहचानवा रहे थे जब इंद्र और दूसरे देवता मानव शरीर में आएंगे और लोग उनको शहीद कर देंगे।
आपको इन देवताओं की हकीकत पता चलेगी जब हम भजन 6 के अर्थ समझेंगे। यह भजन इंद्र और मारूत को समर्पित है जिससे पता चलता है कि इंद्र देव और मारूत का आपस में कोई न कोई रिश्ता है। उपनिषद बताते हैं कि मारूत और वायुदेव और शिव एक ही हैं। कभी कभी 12 के 12 इमामों को मरूत कह कर सम्बोधित किया जाता है और कहा जाता है मरूत 12 हैं जिनमें शिव अर्थात अली शीर्ष पर हैं। यदि आप अब तक दिए गए मेरे तर्क समझ रहें हैं तो आप समझ जाएंगे कि इस भजन में उस समय को पहचनवाया जाएगा जिस समय इंद्र और 12 मारूत मानव शरीर में मौहम्मद और 12 इमाम बन कर अवतरित हुए।
मंत्र 1 बताता है कि यह वह लोग हैं जो हर समय ईश्वर से बातचीत करते हैं अर्थात उससे रिश्ता बनाए रहते हैं। यह रहमदिल और अहिंसा के मानने वाले हैं और हर चेतन और निर्जीव वस्तु के जानकार हैं। अगले मंत्र में अश्विन की बात हो रही है। डिक्शनरी बताती है कि अश्विन दो देवताओं को एक साथ कहते हैं। यह वैसे ही है जैसे अली और फातिमा के दो पुत्रों हसन और हुसैन को हसनैन कहा जाता है। अश्विन का शिव और पार्वती से वही रिश्ता है जो हसनैन का अली और फातिमा से।
प्रोफैसर मैक्स म्यूलर ने इस मंत्र का इस प्रकार अनुवाद किया हैः
They harness to the chariot on each side his (Indra’s) two favourite boys, the brown the bold, who can carry the hero.
(VEDIC HYMNS PART I.P.14).
आप देख रहे हैं कि अश्विन का इंद्र से भी रिश्ता है। यह आप जब तक नहीं समझ सकते जब तक आप मौहम्मद और उनके घर वालों की जिन्दगी को नहीं पढ़ें और देखें कि कैसे मौहम्मद अपने दोनों नातियों हसन और हुसैन को अपने दोनों कंधों पर बिठा कर बाजार में निकलते थे। एक बार किसी ने कह दिया कि वाह कितनी बेहतरीन सवारी है तो मौहम्मद ने क्हा कि यह न कहो बल्कि यह कहो कि क्या बेहतरीन सवार हैं।
मंत्र 3 बताता है कि परमात्मा ने इन दिव्य या नूर से बनी हस्तियों को उस समय पैदा किया जब रौशनी का कोई वुजूद नहीं था और न ही कोई जीव उस समय तक पैदा हुआ था। जिस समय कुछ भी नहीं था उस समय परमात्मा ने ईश्वरीय दिन के प्रारंभ में ही इनको पैदा किया था।
मौहम्मद ने बताया कि मेरा नूर उस समय भी था जब आदम पानी और मिट्टी के बीच थे अर्थात उनको बनाया जा रहा था। अली से किसी ने पूछा कि आदम से पहले क्या था तो बोले आदम, उससे पहले, तो बोले आदम यहां तक कि पूछने वाला पूछता गया और अली हर बार आदम कहते रहे जब तक कि 70 बार नहीं कह चुके और पूछने वाले ने पूछना ही छोड़ दिया। पुराण और उपनिषद बताते हैं कि ईश्वर का एक दिन 1000 बार आदम को जन्म देता है और हमारा आदम इस ईश्वरीय दिन का 994वां आदम हैं। अर्थात अभी 6 बार आदम को और जन्म लेना है और फिर सृष्टि समाप्त हो जाएगी। इसी प्रकार कुरान कहता है कि जब सृष्टि को लपेट लिया जाएगा तो कुछ नहीं बचेगा सिवाय अल्लाह के चेहरे यानी विष्णु के। अहलेबैत का नूर भी सबसे पहले पैदा किया गया था और सब से अंत तक रहेगा। यही बात वेद बता रहे हैं।
इस मंत्र कर अनुवाद प्रोफैसर मैक्स म्यूलर ने इन शब्दों में किया हैः
Thou who createst light where there was no light and form. O men! Where there was no form, hast been born together with the dawns.
और ग्रिफिथ ने इस मंत्र का अनुवाद इन शब्दों में किया हैः
Thou making light where no light was, and form O men, where form was not, wast born together with the Dawn.
याद रहे कि यह मंत्र इंद्र और मारूत को समर्पित है। यह मंत्र इंद्र और मारूत यानी मौहम्मद और 12 इमामों के नूर की पैदाईश की बात करते हुए कह रहा है कि वह सब एक ही समय पर यानी सृष्टि की रचना के समय पैदा किए गए। मैक्स म्यूलर और ग्रिफिथ आदि समझ ही नहीं पाए कि क्या बात हो रही है और किसकी बात हो रही है परन्तु उनका किया अनुवाद स्वयं हमको सत्य के करीब कर देता है।
In the footnote he (Griffith) says: “thou i.e. the sun, O men is perhaps an exclamation expressive of admiration. If Maryah (Men), be taken to mean the Maruts the words thou making, wast born, although in the singular number, may apply to these Gods regarded as one host or Company and born at one birth.”
चैथा मंत्र तो साफ शब्दों में कह रहा है कि मारूत, जिनका जन्म सृष्टि की रचना के समय हुआ था, एक बार फिर मानव शरीर में जन्म लेंगे। जो लोग कहते हैं कि शिव कभी भी मानव शरीर में अवतरित नहीं हुए वह इस मंत्र को ध्यान से पढ़ें और बताएं कि क्या मारूत के मानव शरीर में छोटे बच्चों के रूप में पैदा होने की बात नहीं हो रही? क्या शिव मारूत नहीं?
देखिए मैक्स म्यूलर ने किन शब्दों में इस मंत्र को अनुवादित किया है। फिर कहूंगा कि मैक्स म्यूलर या ग्रिफिथ को कुछ भी नहीं पता कि क्या बात हो रही है परन्तु उनका अनुवाद हमें सच के समीप ले जा रहा है।
The Maruts according to their want assumed again the form of new born babes.
(V.H. PAGE 141)
क्या कोई शक की गुंजाईश रहती है कि वेद मारूत के मानव शरीर में अवतरित होने की बात कर रहे हैं। शब्द ‘again’ बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मारूत के फिर से पैदा होने की बात हो रही है। पिछले मंत्र में उनके नूरानी अस्तित्व की पैदाईश की बात हो रही थी और अगले मंत्र में कहा जा रहा है कि वे फिर से मानव शरीर में जन्म लेंगे जिस प्रकार छोटे बच्चे जन्म लेते हैं। यानी साफ कहा जा रहा है कि आसमान से जमीन पर चमत्कारिक रूप से नहीं उतर आएंगे बल्कि जिस प्रकार दूसरे बच्चे जन्म लेते हैं उस प्रकार जन्म लेंगे और शिव का नूर भी मानव शरीर में आएगा क्योंकि शिव को भी मारूत कहा जाता है।
पुराण और उपनिषद बार बार बता रहे हैं कि देवता जब मानव शरीर में जन्म लेगें तो वह एक छिपा हुआ स्थान होगा। कुछ जगह उसको ‘secret place’ और कुछ जगह ‘middle region’ अर्थात ‘मध्य स्थान’ कहा गया है। संस्कृत में ‘गुहा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका ऋषि दयानंद सरस्वती ने मध्य स्थान और मैक्स म्यूलर ने छिपी हुई जगह या छिपने का स्थान कह कर अनुवाद किया है। परन्तु यह बता दें कि ऋषि दयानंद सरस्वती इस बात पर आतुर थे कि वेद से देवताओं को निकाल फेंके इसलिए उन का अनुवाद संस्कृत के शब्दों से मेल नहीं खाता। देखिए मैक्स म्यूलर का अनुवादः
Thou O Indra, with the Swift Maruts who break through the even strong hold, hast found even in their hiding place the bright ones.
(V.H.P.14).
यदि आप नहीं समझे तो ‘middle region’ वह स्थान था जहां इंद्र और मारूत को इंसानी बच्चों के समान मानव शरीर में जन्म लेना था। आज भी मुसलमान मानते हैं कि काबा वह स्थान है जहां से धरती जमना प्रारंभ हुई थी। YouTube पर आप आज भी ‘Kaaba as the center of the earth’ टाईप करें तो आप को बहुतेरे वीडियो मिल जाएंगे जो बता रहे हैं कि काबा कैसे सारी धरती के मध्य में स्थित है। और आप यह भी जानते हैं कि अरब की धरती को उस समय middle country कहा जाता था और अमरीका की खोज के बाद ही उसको middle east कहा जाने लगा।
आगे चलिए। देखिए कि मंत्र 6 का ग्रिफिथ ने कैसे अनुवाद किया है।
Worshipping even as they list, singers laud him who findeth wealth. The far-renowned, the mighty one.
आने वाले समय में पैदा होने वाली हस्तियों की बात करते हुए वेद कहता है कि वे धरती पर भी ईश्वर की इबादत करते हुए ही आएंगे। जो उनको पहचान लेगा उसने खजाना प्राप्त कर लिया।
अगला मंत्र भी बहुत महत्वपूर्ण है। Secret place की बात करने के बाद, जो कि मध्य स्थान पर होगी जहां इंद्र देव और मारूत जिन को इस सृष्टि के प्रारंभ में नूर के रूप में पैदा किया गया था और जिनको मानव शरीर में पैदा होना था, यह सब बताने के बाद मंत्र 8 में बताया जा रहा है कि उस स्थान का नाम मखः होगा। हालांकि यह सही है कि न ऋषि दयानंद सरस्वती ने और न ग्रिफिथ या मैक्स म्यूलर ने इस मखः को अरब के मक्का से मिला कर देखा है जब्कि हकीकत यह है कि अरबी में मक्का का उच्चारण वेद में लिखे गए मखः से मिलता जुलता ही किया जाता है। Makhah and not Mecca । वेद के विभिन्न अनुवादकों ने मखः का विभिन्न अनुवाद किया है और आपस में बहस भी की है कि यह अनुवाद ठीक है कि वह। परन्तु जो सही अनुवाद था वह किसी ने नहीं किया।
Rishi Dayanand Saraswati says: “Prof. Maxmuller takes Makhah to mean the sacrificer and translates ‘The sacrificer cries aloud’. But Makhah means Yajna which brings about the happiness to and welfare of all beings through the purification of the air and the water. Prof. Maxmuller’s statement that there are two passages where Makhah refers to an enemy of the gods is also erroneous because it is a simile there.”
परन्तु हम जो अनुवाद कर रहे हैं वह ही सही है यह मैक्स म्यूलर के अगले मंत्र के अनुवाद से साबित हो जाता है। अगले मंत्र से साबित हो जाता है कि इंद्र जो स्वर्ग का नूर हैं वह धरती पर आएंगे। देखिए मंत्र 9 का मैक्स म्यूलर का अनुवादः
From Yonder, O traveler (Indra) come hither, or from the light of heaven, the singers all yearn for it.
इससे साबित है कि जिस मध्य स्थान और छिपे हुए स्थान की बात हो रही थी वह मखः आज का मक्का ही है।
क्या इससे यह साबित नहीं होता कि वेदिक समय के लोगों को पता था कि इंद्र और मारूत आने वाले समय में मानव शरीर में पैदा होंगे और वे उस समय की प्रतीक्षा में थे। यही कारण है कि ब्रहद अराण्यका उपनिषद एक स्थान पर कहता है कि जब कोई व्यक्ति मरणासन पर होता था तो अपने पुत्रों को बुलाकर कहता था कि मेरे समय में तो वे नहीं आए परन्तु यदि तुम्हारे समय में आएं तो तुम भाग्यवान होगे। The singers yearn for it से भी साबित है कि वेद लिखे जाते समय तक उनके आने की प्रतीक्षा हो रही थी।
मंत्र 10 में भी इंद्र से प्रार्थना की जा रही है भले ही वे देवलोक में हों या कि धरती पर मानव शरीर में या कि आकाश में।
In Mantra 10, the prayer is made to Indra, irrespective of where he is. He could be in heavens as he was in those times, or could take birth on earth; yet, it is to him that we ask for help.
Maxmuller writes:
We ask Indra for help from here, or from heaven, or from above the earth, or from the “Great sky.”
यदि इतना कुछ पढ़ने के बाद भी कोई कहे कि इंद्र या शिव अयोण्ज्यि हैं और कभी भी मानव शरीर में अवतरित नहीं हुए तो मौहम्मद अलवी वेदों, उपनिषद और गीता से असंख्य दूसरे उदाहरण दे सकता है। किसी भी संस्कृत के जानकार के पास वेद ले कर जाएं और जो कुछ मौहम्मद अलवी कह रहा है उसकी पुष्टि कर लें।
आगे प्रस्तुत है मौहम्मद अलवी की हीमा अग्नि, सुभास बोस और नागेंद्र सैट्टी से हुई बातचीत जिसमें उन्होंने मौहम्मद अलवी को तीन बार कमीना कहा कि वह अली और शिव के बीच रिश्ता जोड़ रहा था।
Hima Agni: Lolz Shiva is ayonija, never born from human womb. The one god who is manifestation of cosmos never a human. Don't try twist truth of Shiva for ur convenience
Subhas Bose: Listen Shiva was never born never died ..He is timeless ..for your knowledge search I tell you Shiva never incarnated or reincarted ..Li ga is physical manifestation of cradle of life..on Yoni of the linga there is fish turtle as well. Fish was first mammal ..so Vishnu is shown as reincarnation in mammal form..Only reincarnation of Vishnu is shown not of Shiva ..Shiva is absolute..
Subhas Bose: First tiu gain knowledge ..now am planning to throw you from this forum..I avoid to discuss with your community
Mohammad Alvi: If you are so angry, why discuss at all. Whatever I am saying is from my understanding of Vedas. If you have a different view, you are free to maintain it. Problem today is that there are myths and legends and reality. Unless you remove myths from reality, you will never reach the truth. Vedas talk of Devatas taking birth in human form 'as new born babes' at a secret place. I hope you are aware Vayu Deva is appellation for Chief Marut or Shiva.
Hima Agni: Well Hindu is a realized soul held on their dharma for eons. The asura shakti in slime bastard force did try to ruin Hindu by force n torture for centuries. WE RETAINED human values while 99% of Muslims turned their true nature asuras by virtue of their quotes from QURAN. We tolerated other religions n gave time n space unlike others. Let Me know if not by forced conversations n breeding like pigs would Muslims reach their marked target of exponential growth smile emoticon
Mohammad Alvi: The Asura Shakti is the Forces of Darkness that I am talking about. Krishna too has referred to them as Tamas [Darkness]. Word 'Devata' has root in 'diva
Subhas Bose: Marut is essence of Shiva not incarnation ..I am angry because of your concoction theory
Mohammad Alvi: The word 'Devata' has root in Divya or Light that I am referring to as Forces of Light. Creation of Devatas has been vividly described in Brhad-aranyaka Upanishad and various other Upanishads. Creation process talks of the number 14. Scriptures talk of 14 Manus. Muslim scriptures talk of the same 14 lights descending on earth to be called Ahlulbat. They too are 14. The Noor or Light manifested in human form and were called Ahlulbayt. This was same as when Vedas said Devatas will take birth as new born babes at a secret place. You can see my earlier posts regarding this or else I can post them again for you.
Hima Agni: Darling Mohammad Alvi u need not show our Vedas as pramana, reference. Coz each realized soul is absolute form of paramatma and our Atma tolerates truth and eliminates untruth. Let it b kin too we wage war for dharma rakshana. BTW don't try copy paste from some brit translation of our scripture. U need realization not mere reading
Mohammad Alvi: I too have not said Marut is an incarnation. Kalki will be an incarnation, you agree. Kalki will the Mahdi of the Muslims. Let's not get into whether Shiva reincarnated in human form to be known as Ali, Kalki will be presenting the true Divine Teachings of Dharm or Right Conduct. Let's wait for him to arrive.
Hima Agni: Lolz dude u juz said Ali was born Shiva while ago. N now u go back when we told u absolute Shiva.
Hima Agni: BTW our Vishnu won't reincarnate as juz one kalki. Or we have to wait for him till we die. A realized soul is god in itself. We defend our Hindu dharma from insane psychopaths n schizo looters.
Hima Agni: We are those devatas u been trying to reach.
Hima Agni: Lolz so the cooked up books got no control on dark forces huh. Well u know showing references of diff scriptures in half baked way won't serve the purpose of humanity.
Mohammad Alvi: Devatas are not what we show in serials on TV. We do not even know their true identity, their role in this cosmos. If we had known their role, we had not shown them in comic situations in serials. We are not even serious about knowing who they are. Because we have been misled by myths and false stories regarding they coming on earth and impregnating women, they remaining intoxicated and so on. This is false understanding of Devatas. Fact is we are not taking Vedas seriously enough to understand those who have been described as leaders of our organs of action and senses and about whom it is said that if you eat without giving a portion to them, you are thief. How can we offer a part of our food when we do not even know who they are? They are the leaders of heaven? How can we aspire to go to heaven when we do not know their true identity.
Hima Agni: No person is born as Muslim or xian or Hindu too. They are born as human. Only a realized soul is Hindu n true human. Save ur teachings for ur fellow mums and if u have any spine save them from their sins than try come to us n preach. ALSO making living earth a hell won't give any of u heaven
Hima Agni: Dear Mohammad Alvi do u read what we say ? Understand what's conveyed ?
Subhas Bose: Forget Heaven n hell. .there is nothing called heaven its perpetual lie and marketing gimmick to control human beings to go for other religion or sect..if your Allah was so powerful why he is not killing the Satan by sending your prophet
Mohammad Alvi: If you are saying there is no heaven, you are speaking against the teachings of Gita and Upanishads and Mahabharat. Gita talks of Indra's heaven. Upanishads have talked of heaven several times. And Mahabharat even shows Kauravas going to heaven towards the end. It is not just a symbolic heaven but even mentions dwarpals, etc. You are merely presenting myths and stories that are widely believed whereas I am presenting before you scriptural evidence from Vedas, Upanishads, Gita, Quran, Old and New Testament as well as teachings of Buddha. Let's talk with proofs from scriptures alone. Otherwise, there's no point talking any further.
Subhas Bose: Indra's heaven means of a deity's heaven not your Allah's heaven
Mohammad Alvi: Hima Agni ji, let's talk only from scriptures. Just as I have talked only from scriptures that are held dear by Christians when responding to a question from a Christian lady, I will talk to you only from Vedas, Gita, Upanishads, Purana and nothing outside.
Hima Agni: This guy simply pukes what Hez determined to without reading n realizing whats said
Mohammad Alvi: Indra is one of the deities of Vedas. Do you know what his role is in this cosmos? What is his relationship with Paramatma? What is his relationship with God? And what is his relationship with us? You know nothing yet you debate.
Subhas Bose: Indira was highest deity in Rig veda .. later he lost his status because of his low karma
Mohammad Alvi: If you say Indra lost his status because of his low karma, you are merely speaking from the myths and wrong understanding of Vedas. Give me scriptural evidence regarding this. If Indra was to perform low karma, why was he made the highest deity? Don't make mockery of religion by your wrong understanding.
Mohammad Alvi: That is why I say you people have no knowledge of the content of Vedas, Upanishads and other scriptures. You just speak from what little you have heard or read. I am ready to discuss anything with you merely from those scriptures that Hindus consider their own. To me, Vedas too are divine scriptures and I have highest regard for them.
Hima Agni [May 24, 6:34 p.m.]: Bastard u are blind to logic n tolerance n puke ur preconceived notion of references.
Mohammad Alvi: Hima ji, this is the common way of those who do not have reasonable queries up their sleeves. I am ready to talk from the Hindu scriptures? I will only answer from Vedas, Upanishads, Purana and Gita? If you are willing to discuss on a subject, let's do so or else let's move on.
Hima Agni: U r no seeker of truth by shallow hallow souless sinner as ur creed
Mohammad Alvi: Good bye. May the One God of the Universe be your guide and saviour.
Hima Agni: Shut up u have no dignity to acknowledge ur ignorance or admit ur lack of experience
Mohammad Alvi: May the One God of the Universe still bless you and guide you.
Hima Agni: Bunch of lies n ur lack of experience will not make u peace maker. Ppl like u r ones that ruin humanity
Hima Agni: Book worm never turns a warrior of light. Un realized soul doesn't turn a divine defender
Hima Agni: Fuck brain dead to feel powerful.. But know unrealized soul is evil in its true nature. U juz proved urself to b one
Hima Agni: Mohammad Alvi u talked about forces of light ...WE ARE THOSE forces of light testing ur strength u failed to acknowledge n learn. U may cheat world but u can't cheat a soul. Don't try messing truth with ur dim wit n copy pastes.
Hima Agni: U gotta be a soul infinite to feel the essence of Hindu beyond books n words. U will never be one with nature until u live a mundane life bound by body. u have no guts, strength to see it. May Shiva show no mercy on blasphemy shallow holes like u. Har Har Mahadev !!! Each realized soul is MAHADEV
Hima Agni: [May 24, 6:55 p.m.] Bastard u quit the battle ground as coward looser not facing ur limited knowledge . don't try show off ur copy paste as wisdom. Get lost
Hima Agni: Ur proven cowardice has no place here. Go try show off else where
Hima Agni: Mohammad Alvi u have no respect or code of honor. U r as good as all ur ancestors. Don't try show ur masked face of peace which has no truth n guts to accept honestly
Hima Agni: Mohammad Alvi why r u evading laddu ? Also why u quit n are back now to talk blasphemy
Mohammad Alvi: Hima Agni ji, I will only discuss with you on the basis of content of Vedas, Gita, Upanishads and Purana, and nothing else. My knowledge is limited and you have great knowledge. If you really wish to discuss on any topic of your choice that is pertaining to the Hindu scriptures let's discuss otherwise there's no point. I am not interested in your laddus.
Hima Agni: Well u evade questions that prove ur limited experience. So that is it ? U don't wanna know what u dont know is it ?
Hima Agni: U juz wanna sit n debate based on copy paste than realize as soul is it ??
Nagendra R Setty: Mohammad Alvi Don't cut paste scriptures it is very irritating.
Hima Agni: Nagendra R Setty Mohammad Alvi only parrots. He has no soul to realize. No heart that bleeds for inhuman. He juz talks from tip of tongue. And his limited source of scriptures don't convert into knowledge coz he didn't understand the depth.
Hima Agni; And he evades reality that won't suit him
Mohammad Alvi: It is strange you do not wish to discuss from scriptures that you call your own. Since I consider Vedas, Gita, etc. as scriptures from my God, I value them. Naturally, I won't be creating new content of the scriptures. I will be copy pasting from these scriptures alone to put forth my point. You always have the right to differ.
Hima Agni: Mohammad Alvi all our scriptures are not copy pasted as ur holy books.
Hima Agni: Thatz why told u, u gotta be a soul to realize being human n Hindu
Hima Agni: Baby Mohammad Alvi do u realize the limitation of copy paste
Hima Agni: There is lot more which has to be realized as soul than u find in copy paste
Hima Agni: U r missing the essence of Vedas n bhagavt Geeta being a book worm than being a realized soul
Nagendra R Setty: Hima Agni avoid the scriptures cut n paste debate. Ask him about Al-Taqya.
Subhas Bose: This is what he is doing. .
Mohammad Alvi: We have already discussed what is happening in middle east. Subhas Bose, you are speaking on my behalf. This discussion is leading no where. I quit. Good bye. All of you. May God bless all of you. Even our friend who called me bastard.
Hima Agni: Coz u r a bastard smile emoticon who won't stand as man of guts n be honest to admit ur ignorance of reality n wanna grope endlessly in darkness only copy pasting
Hima Agni: Also u are spinless leech preying on dead brains quoting copy paste than live as a realized soul. When u r a soul u will have no questions as all answers r within u. N no discussion coz itz already understood
Subhas Bose: Hima don't call bastard .your mistak e
Hima Agni: OK will take back the word bastard. Hez a zombie book worm with no soul
Hima Agni: Well be the fire. If Hez a soul he is purified by the jnanagni if Hez shallow hallow bookworm he will b burnt. No argument. My dad told me, only fools argue.
Subas Bose: Let it be ..Advaitvad says accept everyone ..
Hima Agni: Thatz what I been showing on his face. U gotta realize as soul not copy paste. There is no point
Subas Bose He got his own knowledge ...let it be..the moment you realize he is gasbag ..leave him..Narendra Setty is smart in that
Hima Agni If he has no manners to accept his inability he has no right to talk where he doesn't deserve to be. Realized is Hindu not the reciters. ALSO Hez not eaten a laddu how will he gain jnanamruta
हिमा अग्नि का कहना है कि शिव अयोणिज्य हैं और कभी भी स्त्री की कोख से पैदा नहीं हुए। उनका कहना है कि शिव समय से परे है और कभी भी पैदा नहीं हुए और न अवतरित हुए। वह यह भी कहते हैं कि केवल विष्णू ही अवतरित होते हैं और शिव कभी नहीं हुए। उनका यह भी कहना है कि वे किसी मुस्लिम से इस विषय पर बातचीत करने को तैयार नहीं। मौहम्मद अलवी ने कहा कि यदि वे समझना चाहते हैं तो वेद, उपनिषद, गीता और पुराण से बातचीत करें पर उन्होंने बातचीत करने से मना कह दिया। हां मौहम्मद अलवी को तीन बार कमीना अवश्य कह डाला। हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्द वापिस भी ले लिए।
इस लेख के अंत में हम हिमा अग्नि, सुभास बोस और नागेन्द्र सैट्टी से हुई पूरी बातचीत लिख रहें हैं। परन्तु पहले वेद से ही देखिए कि क्या शिव कभी मानव शरीर में अवतरित हुए कि नहीं?
शिव को महादेव कहा जाता है। इसका अर्थ है कि शिव देवों में सबसे शीर्ष स्थान रखते हैं। ‘देव’ का मूल शब्द ‘दिव्य’ अर्थात नूर है। इसका अर्थ यह है कि शिव नूर से बने हैं और तमाम देवों में शिव को खास मकाम हासिल है। शिव को रूद्र और मारूत भी कहा जाता है हालांकि वेदानुसार रूद्र और मारूत एक से अधिक हैं। पैगम्बर मौहम्मद अपनी जिन्दगी में बार बार कहते रहे कि जब पहला मनुष्य बना तो उस समय भी उनका नूर बनाया जा चुका था। वह यह भी कहते रहे कि अली और वह एक ही नूर के दो टुकड़े हैं। और उन्होंने कहा कि नूर से नूर पैदा हुआ और तमाम नूर एक समान हैं। कुरान बार बार इस नूर की बात करता है और नूर के विपरीत जुलमत अर्थात तमस का शब्द प्रयोग करता है जिसका अर्थ है शैतानी ताकतें अर्थात गुमराह करने वाली ताकतें। इसका अर्थ यह हुआ कि नूर की खिलकत का मकसद मानवता को ईश्वर का मार्ग दिखाना है और आत्मा को परमात्मा तक ले जाना है जब्कि जुलमत की पैदाईश का मकसद मानवता को गुमराह करना है। नूर के रास्ते पर मोक्ष है। यही कारण है कि जुलमत की सबसे बड़ी दुश्मन यह नूरानी ताकतें हैं। इसी का उल्लेख वेदों ने किया तो सही अर्थ न समझ पाने के कारण लोगों ने यह मतलब निकाले कि किसी पुरातन काल में देवताओं और असुरों में भीषण लड़ाईयां हुईं थीं। अनेक कहानियां देवताओं और असुरों की लड़ाई की लोगों में आम हो गईं जो आज भी टीवी पर धारावाहिकों में देखी जा सकती हैं। अफसोस की बात है कि जहां गीता कह रही है कि जिसने देवताओं को अर्पित किए बिना खाना खाया वह चोर है हम तो उनको पहचानते भी नहीं हैं खाना क्या अर्पित करेंगे। वेद कहते हैं कि देवता हमारी इंद्रियों के शासक हैं और हम न तो जानते हैं कि देवता कौन हैं और न ही जानने की चिंता करते हैं। ब्रहद अराण्यका, पिंगल, मैत्रीय यहां तक कि हर उपनिषद देवताओं के रोल को समझा रहे हैं परन्तु हम जानने की चिंता ही नहीं करते कि देवता कौन हैं और उनका हमसे और ईश्वर से क्या सम्बंध है। समूचे वेद केवल देवताओं को ही पहचनवाने का काम कर रहे हैं परन्तु हमारी जिन्दगी में देवताओं का न तो कोई महत्व है और न उनकी समझ है।
जैसा मैंने कहा, वेद देवताओं के उल्लेख से भरे पड़े हैं। तमाम वेदों को छोड़ हम केवल ऋगवेद दो भजनों को पेश कर रहे हैं जो सबूत है कि देवताओं को आने वाले समय में अवतरित होना था। जब यह देवता मानव शरीर में आए तो अहलेबैत कहलाए। अहलेबैत का अर्थ है ‘घर के लोग’ और चूंकि मक्का में स्थित काबा को बैतुल्लाह यानी ‘ईश्वर का घर’ कह कर सम्बोधित किया जा चुका था, यह अहलेबैत ‘ईश्वर के घर लोग’ हुए। स्वर्ग में वास करने वाले देवताओं का नूर जो आदम यानी पहले मनु की पैदाईश से पहले पैदा हुआ था एक के बाद एक मानव शरीर में अवतरित हुआ तो अहलेबैत अर्थात ‘ईश्वर के घर के लोग’ कहलाए। अली जो अहलेबैत में इमामों के इमाम हैं और फातिमा के पति हैं और जिन्होंने चमत्कारिक रूप से काबा के अन्दर जन्म लिया वह ही मारूत में सबसे श्रेष्ठ, रूद्रों में अग्रणी और देवों के देव हैं। आईए देखें कि क्या ऋगवेद की पहली पुस्तक का पांचवा और छठा भजन इंद्र देव और मारूत का फिर से मानव शरीर में पैदा होने की बात कर रहा है कि नहीं।
मंत्र 5 इंद्र देव तो समर्पित है। परन्तु ऐसा नहीं है कि इस में केवल इंद्र देव की ही बात हो रही है। मंत्र के प्रारम्भ में ही वायु देव की भी बात हो रही है जो कोई और नहीं बल्कि शिव ही हैं। आम तौर पर हिन्दु वायु देव और शिव को अलग अलग मानते हैं परन्तु मैं यह साबित कर सकता हूं कि यह दोनों एक ही हैं। इस मंत्र में वेद वायु और इंद्र देव को एक समान बताता है जिससे कई लोग यह निष्कर्श निकालते हैं कि वायु और इंद्र एक ही हैं परन्तु दरअस्ल यहां पर दोनों को एक नहीं बताया जा रहा बल्कि बिलकुल एक समान कहा जा रहा है। मौहम्मद ने कहा कि अली और मैं एक ही नूर के दो टुकड़े हैं और विभिन्न उपनिषद हमें बताते हैं कि कैसे परमात्मा का एक नूर दो नूर में विभाजित हुआ जो पहले नूर, जिससे विभाजन हुआ, के एकदम समान थे। शतपथ ब्राहमण भी यही कहता दिखाई देता है।
Shatapath Brahmana 4.1.3.19 says:
One who is Vayu is Indra and Indra is Vayu.
हम जो बात नहीं समझ पाए वह यह कि यहां पर दोनों देवताओं के एक समान रोल की बात हो रही है ठीक वैसे ही जैसे मौहम्मद ने 14 के 14 नूर को एक समान बताने के लिए कहा कि हम में से पहला मौहम्मद है, आखिरी मौहम्मद है, बीच का मौहम्मद है, सब के सब मौहम्मद हैं।
इस भजन का दूसरा मंत्र बताता है कि देवता अदालत करता है और कुकर्मियों को सजा देता है, पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक हर किसी का आका है और अच्छे लोगों को विभिन्न प्रकार से पुरस्कृत करता है। मंत्र 4 में बताया जाता है कि हमको इंद्र की उपासना करना चाहिए जिसकी ताकत और शक्ति सारी सृष्टि में काम कर रही है। सबसे रोचक बात यह है कि हदीसे किसा में जिसको मुसलमान पढ़ा करते हैं परमात्मा कहता है कि यह चंद्रमा, यह सितारे, यह सूर्य, यह धरती सब कुछ उसने इन्हीं अहलेबैत के कारण बनाए गए। अली के कई वक्तव्य बताते हैं कि पृथ्वी से लेकर आकाश का उनका क्या रोल है और यह अहलेबैत स्वर्ग में भी वास करते रहे हैं।
बात क्या हो रही है इसको न समझ पाने के कारण ऋषि दयानंद सरस्वती कहते हैं कि इस मंत्र में और अनेक दूसरे मंत्रों में ईश्वर अपनी बहुत ही छोटी कृति सूर्य की बार बार प्रशंसा कर रहा है। परन्तु ऐसा नहीं है। जिस प्रकार वायु देव का अर्थ हवा नहीं, उसी प्रकार अग्नि देव का अर्थ सूर्य या आग नहीं। अग्नि देव वह देवता हैं जिनके बारे में ऋगवेद की पहली पुस्तक के चैथे भजन के 8वें मंत्र में कहा जा रहा है कि हम को उस बहादुर, सत्यवान और धार्मिक व्यक्ति की सहायता करना चाहिए जो अधर्मी दुश्मनों से लड़ाई लड़ रहा है। इस मंत्र में उस समय के लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि वे अधर्मियों के खिलाफ अग्नि देव और उनके साथियों की लड़ाई में उनके साथ अडिग और साबितकदम रहें और इन सच्चे बहादुरों का अधर्मियों के खिलाफ लड़ाई में साथ दें। चारों वेदों में सबसे अधिक अग्निदेव का उल्लेख है। इन उल्लेखों को पढ़कर हमने निष्कर्श निकाला है कि अग्निदेव कोई और नहीं बल्कि अली और फातिमा के पुत्र हुसैन हैं जिनको अधर्मियों ने करबला की लड़ाई में बरबरतापूर्वक शहीद कर दिया।
भजन 5 का मंत्र 6 से 9 बताता है कि हालांकि यह देवतागण इतने ताकतवर हैं और उनकी ताकत तमाम सृष्टि को संचालित करती है, उनका ज्ञान केवल अकलमंदों को ही हो पाता है। इसका अर्थ है कि देवताओं की समझ हर किसी के बस से बाहर है। यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को इनकी पहचान हो जाती है वही सबसे बेहतरीन व्यक्ति हो जाता है और तमाम बेहतरी उसमें आ जाती है। जैसे मैं ने पहले कहा कि जुलमत अर्थात तमस की गुमराह करने वाली शक्ति कभी भी नहीं चाहती कि हमको नूर की समझ पैदा हो और इस लिए वह हमको गुमराह करने में लगी रहती है।
इस भजन के मंत्र 6, 7 और 9 में सोमरस की बात हुई है। लोग आज तक समझ नहीं पाए कि सोमरस क्या है। कुछ लोग कहते हैं कि सोमरस स्वर्ग का कोई पेय है। यह भी कहा जाता है कि इंद्र हर समय सोमरस पिए रहते थे जिससे कुछ लोग यह निष्कर्श निकालते हैं कि सोमरस कोई शराब है। परन्तु हकीकत यह है कि सोमरस को अरबी में आबे कौसर अर्थात स्वर्ग का पानी के अर्थ में प्रयोग किया गया है परन्तु इसका अर्थ होता है शहादत पेश करना या ईश्वर की राह में शहीद कर दिए जाना। मानव शरीर में देवता आए तो अली, हसन, हुसैन और दूसरों को अधर्मी लोगों ने शहीद कर दिया। इस मायनी में सोमरस का प्रयोग हुआ है। करबला में शहीद होने वालों के लिए भी कहा जाता है कि वे आबे कौसर से सेराब हो गये। बार बार सोमरस शब्द का प्रयोग होने से लोगों ने धारणा बना ली कि इंद्र हर समय सोमरस पिए रहते थे जब्कि हकीकत में वेद उस समय को पहचानवा रहे थे जब इंद्र और दूसरे देवता मानव शरीर में आएंगे और लोग उनको शहीद कर देंगे।
आपको इन देवताओं की हकीकत पता चलेगी जब हम भजन 6 के अर्थ समझेंगे। यह भजन इंद्र और मारूत को समर्पित है जिससे पता चलता है कि इंद्र देव और मारूत का आपस में कोई न कोई रिश्ता है। उपनिषद बताते हैं कि मारूत और वायुदेव और शिव एक ही हैं। कभी कभी 12 के 12 इमामों को मरूत कह कर सम्बोधित किया जाता है और कहा जाता है मरूत 12 हैं जिनमें शिव अर्थात अली शीर्ष पर हैं। यदि आप अब तक दिए गए मेरे तर्क समझ रहें हैं तो आप समझ जाएंगे कि इस भजन में उस समय को पहचनवाया जाएगा जिस समय इंद्र और 12 मारूत मानव शरीर में मौहम्मद और 12 इमाम बन कर अवतरित हुए।
मंत्र 1 बताता है कि यह वह लोग हैं जो हर समय ईश्वर से बातचीत करते हैं अर्थात उससे रिश्ता बनाए रहते हैं। यह रहमदिल और अहिंसा के मानने वाले हैं और हर चेतन और निर्जीव वस्तु के जानकार हैं। अगले मंत्र में अश्विन की बात हो रही है। डिक्शनरी बताती है कि अश्विन दो देवताओं को एक साथ कहते हैं। यह वैसे ही है जैसे अली और फातिमा के दो पुत्रों हसन और हुसैन को हसनैन कहा जाता है। अश्विन का शिव और पार्वती से वही रिश्ता है जो हसनैन का अली और फातिमा से।
प्रोफैसर मैक्स म्यूलर ने इस मंत्र का इस प्रकार अनुवाद किया हैः
They harness to the chariot on each side his (Indra’s) two favourite boys, the brown the bold, who can carry the hero.
(VEDIC HYMNS PART I.P.14).
आप देख रहे हैं कि अश्विन का इंद्र से भी रिश्ता है। यह आप जब तक नहीं समझ सकते जब तक आप मौहम्मद और उनके घर वालों की जिन्दगी को नहीं पढ़ें और देखें कि कैसे मौहम्मद अपने दोनों नातियों हसन और हुसैन को अपने दोनों कंधों पर बिठा कर बाजार में निकलते थे। एक बार किसी ने कह दिया कि वाह कितनी बेहतरीन सवारी है तो मौहम्मद ने क्हा कि यह न कहो बल्कि यह कहो कि क्या बेहतरीन सवार हैं।
मंत्र 3 बताता है कि परमात्मा ने इन दिव्य या नूर से बनी हस्तियों को उस समय पैदा किया जब रौशनी का कोई वुजूद नहीं था और न ही कोई जीव उस समय तक पैदा हुआ था। जिस समय कुछ भी नहीं था उस समय परमात्मा ने ईश्वरीय दिन के प्रारंभ में ही इनको पैदा किया था।
मौहम्मद ने बताया कि मेरा नूर उस समय भी था जब आदम पानी और मिट्टी के बीच थे अर्थात उनको बनाया जा रहा था। अली से किसी ने पूछा कि आदम से पहले क्या था तो बोले आदम, उससे पहले, तो बोले आदम यहां तक कि पूछने वाला पूछता गया और अली हर बार आदम कहते रहे जब तक कि 70 बार नहीं कह चुके और पूछने वाले ने पूछना ही छोड़ दिया। पुराण और उपनिषद बताते हैं कि ईश्वर का एक दिन 1000 बार आदम को जन्म देता है और हमारा आदम इस ईश्वरीय दिन का 994वां आदम हैं। अर्थात अभी 6 बार आदम को और जन्म लेना है और फिर सृष्टि समाप्त हो जाएगी। इसी प्रकार कुरान कहता है कि जब सृष्टि को लपेट लिया जाएगा तो कुछ नहीं बचेगा सिवाय अल्लाह के चेहरे यानी विष्णु के। अहलेबैत का नूर भी सबसे पहले पैदा किया गया था और सब से अंत तक रहेगा। यही बात वेद बता रहे हैं।
इस मंत्र कर अनुवाद प्रोफैसर मैक्स म्यूलर ने इन शब्दों में किया हैः
Thou who createst light where there was no light and form. O men! Where there was no form, hast been born together with the dawns.
और ग्रिफिथ ने इस मंत्र का अनुवाद इन शब्दों में किया हैः
Thou making light where no light was, and form O men, where form was not, wast born together with the Dawn.
याद रहे कि यह मंत्र इंद्र और मारूत को समर्पित है। यह मंत्र इंद्र और मारूत यानी मौहम्मद और 12 इमामों के नूर की पैदाईश की बात करते हुए कह रहा है कि वह सब एक ही समय पर यानी सृष्टि की रचना के समय पैदा किए गए। मैक्स म्यूलर और ग्रिफिथ आदि समझ ही नहीं पाए कि क्या बात हो रही है और किसकी बात हो रही है परन्तु उनका किया अनुवाद स्वयं हमको सत्य के करीब कर देता है।
In the footnote he (Griffith) says: “thou i.e. the sun, O men is perhaps an exclamation expressive of admiration. If Maryah (Men), be taken to mean the Maruts the words thou making, wast born, although in the singular number, may apply to these Gods regarded as one host or Company and born at one birth.”
चैथा मंत्र तो साफ शब्दों में कह रहा है कि मारूत, जिनका जन्म सृष्टि की रचना के समय हुआ था, एक बार फिर मानव शरीर में जन्म लेंगे। जो लोग कहते हैं कि शिव कभी भी मानव शरीर में अवतरित नहीं हुए वह इस मंत्र को ध्यान से पढ़ें और बताएं कि क्या मारूत के मानव शरीर में छोटे बच्चों के रूप में पैदा होने की बात नहीं हो रही? क्या शिव मारूत नहीं?
देखिए मैक्स म्यूलर ने किन शब्दों में इस मंत्र को अनुवादित किया है। फिर कहूंगा कि मैक्स म्यूलर या ग्रिफिथ को कुछ भी नहीं पता कि क्या बात हो रही है परन्तु उनका अनुवाद हमें सच के समीप ले जा रहा है।
The Maruts according to their want assumed again the form of new born babes.
(V.H. PAGE 141)
क्या कोई शक की गुंजाईश रहती है कि वेद मारूत के मानव शरीर में अवतरित होने की बात कर रहे हैं। शब्द ‘again’ बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मारूत के फिर से पैदा होने की बात हो रही है। पिछले मंत्र में उनके नूरानी अस्तित्व की पैदाईश की बात हो रही थी और अगले मंत्र में कहा जा रहा है कि वे फिर से मानव शरीर में जन्म लेंगे जिस प्रकार छोटे बच्चे जन्म लेते हैं। यानी साफ कहा जा रहा है कि आसमान से जमीन पर चमत्कारिक रूप से नहीं उतर आएंगे बल्कि जिस प्रकार दूसरे बच्चे जन्म लेते हैं उस प्रकार जन्म लेंगे और शिव का नूर भी मानव शरीर में आएगा क्योंकि शिव को भी मारूत कहा जाता है।
पुराण और उपनिषद बार बार बता रहे हैं कि देवता जब मानव शरीर में जन्म लेगें तो वह एक छिपा हुआ स्थान होगा। कुछ जगह उसको ‘secret place’ और कुछ जगह ‘middle region’ अर्थात ‘मध्य स्थान’ कहा गया है। संस्कृत में ‘गुहा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका ऋषि दयानंद सरस्वती ने मध्य स्थान और मैक्स म्यूलर ने छिपी हुई जगह या छिपने का स्थान कह कर अनुवाद किया है। परन्तु यह बता दें कि ऋषि दयानंद सरस्वती इस बात पर आतुर थे कि वेद से देवताओं को निकाल फेंके इसलिए उन का अनुवाद संस्कृत के शब्दों से मेल नहीं खाता। देखिए मैक्स म्यूलर का अनुवादः
Thou O Indra, with the Swift Maruts who break through the even strong hold, hast found even in their hiding place the bright ones.
(V.H.P.14).
यदि आप नहीं समझे तो ‘middle region’ वह स्थान था जहां इंद्र और मारूत को इंसानी बच्चों के समान मानव शरीर में जन्म लेना था। आज भी मुसलमान मानते हैं कि काबा वह स्थान है जहां से धरती जमना प्रारंभ हुई थी। YouTube पर आप आज भी ‘Kaaba as the center of the earth’ टाईप करें तो आप को बहुतेरे वीडियो मिल जाएंगे जो बता रहे हैं कि काबा कैसे सारी धरती के मध्य में स्थित है। और आप यह भी जानते हैं कि अरब की धरती को उस समय middle country कहा जाता था और अमरीका की खोज के बाद ही उसको middle east कहा जाने लगा।
आगे चलिए। देखिए कि मंत्र 6 का ग्रिफिथ ने कैसे अनुवाद किया है।
Worshipping even as they list, singers laud him who findeth wealth. The far-renowned, the mighty one.
आने वाले समय में पैदा होने वाली हस्तियों की बात करते हुए वेद कहता है कि वे धरती पर भी ईश्वर की इबादत करते हुए ही आएंगे। जो उनको पहचान लेगा उसने खजाना प्राप्त कर लिया।
अगला मंत्र भी बहुत महत्वपूर्ण है। Secret place की बात करने के बाद, जो कि मध्य स्थान पर होगी जहां इंद्र देव और मारूत जिन को इस सृष्टि के प्रारंभ में नूर के रूप में पैदा किया गया था और जिनको मानव शरीर में पैदा होना था, यह सब बताने के बाद मंत्र 8 में बताया जा रहा है कि उस स्थान का नाम मखः होगा। हालांकि यह सही है कि न ऋषि दयानंद सरस्वती ने और न ग्रिफिथ या मैक्स म्यूलर ने इस मखः को अरब के मक्का से मिला कर देखा है जब्कि हकीकत यह है कि अरबी में मक्का का उच्चारण वेद में लिखे गए मखः से मिलता जुलता ही किया जाता है। Makhah and not Mecca । वेद के विभिन्न अनुवादकों ने मखः का विभिन्न अनुवाद किया है और आपस में बहस भी की है कि यह अनुवाद ठीक है कि वह। परन्तु जो सही अनुवाद था वह किसी ने नहीं किया।
Rishi Dayanand Saraswati says: “Prof. Maxmuller takes Makhah to mean the sacrificer and translates ‘The sacrificer cries aloud’. But Makhah means Yajna which brings about the happiness to and welfare of all beings through the purification of the air and the water. Prof. Maxmuller’s statement that there are two passages where Makhah refers to an enemy of the gods is also erroneous because it is a simile there.”
परन्तु हम जो अनुवाद कर रहे हैं वह ही सही है यह मैक्स म्यूलर के अगले मंत्र के अनुवाद से साबित हो जाता है। अगले मंत्र से साबित हो जाता है कि इंद्र जो स्वर्ग का नूर हैं वह धरती पर आएंगे। देखिए मंत्र 9 का मैक्स म्यूलर का अनुवादः
From Yonder, O traveler (Indra) come hither, or from the light of heaven, the singers all yearn for it.
इससे साबित है कि जिस मध्य स्थान और छिपे हुए स्थान की बात हो रही थी वह मखः आज का मक्का ही है।
क्या इससे यह साबित नहीं होता कि वेदिक समय के लोगों को पता था कि इंद्र और मारूत आने वाले समय में मानव शरीर में पैदा होंगे और वे उस समय की प्रतीक्षा में थे। यही कारण है कि ब्रहद अराण्यका उपनिषद एक स्थान पर कहता है कि जब कोई व्यक्ति मरणासन पर होता था तो अपने पुत्रों को बुलाकर कहता था कि मेरे समय में तो वे नहीं आए परन्तु यदि तुम्हारे समय में आएं तो तुम भाग्यवान होगे। The singers yearn for it से भी साबित है कि वेद लिखे जाते समय तक उनके आने की प्रतीक्षा हो रही थी।
मंत्र 10 में भी इंद्र से प्रार्थना की जा रही है भले ही वे देवलोक में हों या कि धरती पर मानव शरीर में या कि आकाश में।
In Mantra 10, the prayer is made to Indra, irrespective of where he is. He could be in heavens as he was in those times, or could take birth on earth; yet, it is to him that we ask for help.
Maxmuller writes:
We ask Indra for help from here, or from heaven, or from above the earth, or from the “Great sky.”
यदि इतना कुछ पढ़ने के बाद भी कोई कहे कि इंद्र या शिव अयोण्ज्यि हैं और कभी भी मानव शरीर में अवतरित नहीं हुए तो मौहम्मद अलवी वेदों, उपनिषद और गीता से असंख्य दूसरे उदाहरण दे सकता है। किसी भी संस्कृत के जानकार के पास वेद ले कर जाएं और जो कुछ मौहम्मद अलवी कह रहा है उसकी पुष्टि कर लें।
आगे प्रस्तुत है मौहम्मद अलवी की हीमा अग्नि, सुभास बोस और नागेंद्र सैट्टी से हुई बातचीत जिसमें उन्होंने मौहम्मद अलवी को तीन बार कमीना कहा कि वह अली और शिव के बीच रिश्ता जोड़ रहा था।
Hima Agni: Lolz Shiva is ayonija, never born from human womb. The one god who is manifestation of cosmos never a human. Don't try twist truth of Shiva for ur convenience
Subhas Bose: Listen Shiva was never born never died ..He is timeless ..for your knowledge search I tell you Shiva never incarnated or reincarted ..Li ga is physical manifestation of cradle of life..on Yoni of the linga there is fish turtle as well. Fish was first mammal ..so Vishnu is shown as reincarnation in mammal form..Only reincarnation of Vishnu is shown not of Shiva ..Shiva is absolute..
Subhas Bose: First tiu gain knowledge ..now am planning to throw you from this forum..I avoid to discuss with your community
Mohammad Alvi: If you are so angry, why discuss at all. Whatever I am saying is from my understanding of Vedas. If you have a different view, you are free to maintain it. Problem today is that there are myths and legends and reality. Unless you remove myths from reality, you will never reach the truth. Vedas talk of Devatas taking birth in human form 'as new born babes' at a secret place. I hope you are aware Vayu Deva is appellation for Chief Marut or Shiva.
Hima Agni: Well Hindu is a realized soul held on their dharma for eons. The asura shakti in slime bastard force did try to ruin Hindu by force n torture for centuries. WE RETAINED human values while 99% of Muslims turned their true nature asuras by virtue of their quotes from QURAN. We tolerated other religions n gave time n space unlike others. Let Me know if not by forced conversations n breeding like pigs would Muslims reach their marked target of exponential growth smile emoticon
Mohammad Alvi: The Asura Shakti is the Forces of Darkness that I am talking about. Krishna too has referred to them as Tamas [Darkness]. Word 'Devata' has root in 'diva
Subhas Bose: Marut is essence of Shiva not incarnation ..I am angry because of your concoction theory
Mohammad Alvi: The word 'Devata' has root in Divya or Light that I am referring to as Forces of Light. Creation of Devatas has been vividly described in Brhad-aranyaka Upanishad and various other Upanishads. Creation process talks of the number 14. Scriptures talk of 14 Manus. Muslim scriptures talk of the same 14 lights descending on earth to be called Ahlulbat. They too are 14. The Noor or Light manifested in human form and were called Ahlulbayt. This was same as when Vedas said Devatas will take birth as new born babes at a secret place. You can see my earlier posts regarding this or else I can post them again for you.
Hima Agni: Darling Mohammad Alvi u need not show our Vedas as pramana, reference. Coz each realized soul is absolute form of paramatma and our Atma tolerates truth and eliminates untruth. Let it b kin too we wage war for dharma rakshana. BTW don't try copy paste from some brit translation of our scripture. U need realization not mere reading
Mohammad Alvi: I too have not said Marut is an incarnation. Kalki will be an incarnation, you agree. Kalki will the Mahdi of the Muslims. Let's not get into whether Shiva reincarnated in human form to be known as Ali, Kalki will be presenting the true Divine Teachings of Dharm or Right Conduct. Let's wait for him to arrive.
Hima Agni: Lolz dude u juz said Ali was born Shiva while ago. N now u go back when we told u absolute Shiva.
Hima Agni: BTW our Vishnu won't reincarnate as juz one kalki. Or we have to wait for him till we die. A realized soul is god in itself. We defend our Hindu dharma from insane psychopaths n schizo looters.
Hima Agni: We are those devatas u been trying to reach.
Hima Agni: Lolz so the cooked up books got no control on dark forces huh. Well u know showing references of diff scriptures in half baked way won't serve the purpose of humanity.
Mohammad Alvi: Devatas are not what we show in serials on TV. We do not even know their true identity, their role in this cosmos. If we had known their role, we had not shown them in comic situations in serials. We are not even serious about knowing who they are. Because we have been misled by myths and false stories regarding they coming on earth and impregnating women, they remaining intoxicated and so on. This is false understanding of Devatas. Fact is we are not taking Vedas seriously enough to understand those who have been described as leaders of our organs of action and senses and about whom it is said that if you eat without giving a portion to them, you are thief. How can we offer a part of our food when we do not even know who they are? They are the leaders of heaven? How can we aspire to go to heaven when we do not know their true identity.
Hima Agni: No person is born as Muslim or xian or Hindu too. They are born as human. Only a realized soul is Hindu n true human. Save ur teachings for ur fellow mums and if u have any spine save them from their sins than try come to us n preach. ALSO making living earth a hell won't give any of u heaven
Hima Agni: Dear Mohammad Alvi do u read what we say ? Understand what's conveyed ?
Subhas Bose: Forget Heaven n hell. .there is nothing called heaven its perpetual lie and marketing gimmick to control human beings to go for other religion or sect..if your Allah was so powerful why he is not killing the Satan by sending your prophet
Mohammad Alvi: If you are saying there is no heaven, you are speaking against the teachings of Gita and Upanishads and Mahabharat. Gita talks of Indra's heaven. Upanishads have talked of heaven several times. And Mahabharat even shows Kauravas going to heaven towards the end. It is not just a symbolic heaven but even mentions dwarpals, etc. You are merely presenting myths and stories that are widely believed whereas I am presenting before you scriptural evidence from Vedas, Upanishads, Gita, Quran, Old and New Testament as well as teachings of Buddha. Let's talk with proofs from scriptures alone. Otherwise, there's no point talking any further.
Subhas Bose: Indra's heaven means of a deity's heaven not your Allah's heaven
Mohammad Alvi: Hima Agni ji, let's talk only from scriptures. Just as I have talked only from scriptures that are held dear by Christians when responding to a question from a Christian lady, I will talk to you only from Vedas, Gita, Upanishads, Purana and nothing outside.
Hima Agni: This guy simply pukes what Hez determined to without reading n realizing whats said
Mohammad Alvi: Indra is one of the deities of Vedas. Do you know what his role is in this cosmos? What is his relationship with Paramatma? What is his relationship with God? And what is his relationship with us? You know nothing yet you debate.
Subhas Bose: Indira was highest deity in Rig veda .. later he lost his status because of his low karma
Mohammad Alvi: If you say Indra lost his status because of his low karma, you are merely speaking from the myths and wrong understanding of Vedas. Give me scriptural evidence regarding this. If Indra was to perform low karma, why was he made the highest deity? Don't make mockery of religion by your wrong understanding.
Mohammad Alvi: That is why I say you people have no knowledge of the content of Vedas, Upanishads and other scriptures. You just speak from what little you have heard or read. I am ready to discuss anything with you merely from those scriptures that Hindus consider their own. To me, Vedas too are divine scriptures and I have highest regard for them.
Hima Agni [May 24, 6:34 p.m.]: Bastard u are blind to logic n tolerance n puke ur preconceived notion of references.
Mohammad Alvi: Hima ji, this is the common way of those who do not have reasonable queries up their sleeves. I am ready to talk from the Hindu scriptures? I will only answer from Vedas, Upanishads, Purana and Gita? If you are willing to discuss on a subject, let's do so or else let's move on.
Hima Agni: U r no seeker of truth by shallow hallow souless sinner as ur creed
Mohammad Alvi: Good bye. May the One God of the Universe be your guide and saviour.
Hima Agni: Shut up u have no dignity to acknowledge ur ignorance or admit ur lack of experience
Mohammad Alvi: May the One God of the Universe still bless you and guide you.
Hima Agni: Bunch of lies n ur lack of experience will not make u peace maker. Ppl like u r ones that ruin humanity
Hima Agni: Book worm never turns a warrior of light. Un realized soul doesn't turn a divine defender
Hima Agni: Fuck brain dead to feel powerful.. But know unrealized soul is evil in its true nature. U juz proved urself to b one
Hima Agni: Mohammad Alvi u talked about forces of light ...WE ARE THOSE forces of light testing ur strength u failed to acknowledge n learn. U may cheat world but u can't cheat a soul. Don't try messing truth with ur dim wit n copy pastes.
Hima Agni: U gotta be a soul infinite to feel the essence of Hindu beyond books n words. U will never be one with nature until u live a mundane life bound by body. u have no guts, strength to see it. May Shiva show no mercy on blasphemy shallow holes like u. Har Har Mahadev !!! Each realized soul is MAHADEV
Hima Agni: [May 24, 6:55 p.m.] Bastard u quit the battle ground as coward looser not facing ur limited knowledge . don't try show off ur copy paste as wisdom. Get lost
Hima Agni: Ur proven cowardice has no place here. Go try show off else where
Hima Agni: Mohammad Alvi u have no respect or code of honor. U r as good as all ur ancestors. Don't try show ur masked face of peace which has no truth n guts to accept honestly
Hima Agni: Mohammad Alvi why r u evading laddu ? Also why u quit n are back now to talk blasphemy
Mohammad Alvi: Hima Agni ji, I will only discuss with you on the basis of content of Vedas, Gita, Upanishads and Purana, and nothing else. My knowledge is limited and you have great knowledge. If you really wish to discuss on any topic of your choice that is pertaining to the Hindu scriptures let's discuss otherwise there's no point. I am not interested in your laddus.
Hima Agni: Well u evade questions that prove ur limited experience. So that is it ? U don't wanna know what u dont know is it ?
Hima Agni: U juz wanna sit n debate based on copy paste than realize as soul is it ??
Nagendra R Setty: Mohammad Alvi Don't cut paste scriptures it is very irritating.
Hima Agni: Nagendra R Setty Mohammad Alvi only parrots. He has no soul to realize. No heart that bleeds for inhuman. He juz talks from tip of tongue. And his limited source of scriptures don't convert into knowledge coz he didn't understand the depth.
Hima Agni; And he evades reality that won't suit him
Mohammad Alvi: It is strange you do not wish to discuss from scriptures that you call your own. Since I consider Vedas, Gita, etc. as scriptures from my God, I value them. Naturally, I won't be creating new content of the scriptures. I will be copy pasting from these scriptures alone to put forth my point. You always have the right to differ.
Hima Agni: Mohammad Alvi all our scriptures are not copy pasted as ur holy books.
Hima Agni: Thatz why told u, u gotta be a soul to realize being human n Hindu
Hima Agni: Baby Mohammad Alvi do u realize the limitation of copy paste
Hima Agni: There is lot more which has to be realized as soul than u find in copy paste
Hima Agni: U r missing the essence of Vedas n bhagavt Geeta being a book worm than being a realized soul
Nagendra R Setty: Hima Agni avoid the scriptures cut n paste debate. Ask him about Al-Taqya.
Subhas Bose: This is what he is doing. .
Mohammad Alvi: We have already discussed what is happening in middle east. Subhas Bose, you are speaking on my behalf. This discussion is leading no where. I quit. Good bye. All of you. May God bless all of you. Even our friend who called me bastard.
Hima Agni: Coz u r a bastard smile emoticon who won't stand as man of guts n be honest to admit ur ignorance of reality n wanna grope endlessly in darkness only copy pasting
Hima Agni: Also u are spinless leech preying on dead brains quoting copy paste than live as a realized soul. When u r a soul u will have no questions as all answers r within u. N no discussion coz itz already understood
Subhas Bose: Hima don't call bastard .your mistak e
Hima Agni: OK will take back the word bastard. Hez a zombie book worm with no soul
Hima Agni: Well be the fire. If Hez a soul he is purified by the jnanagni if Hez shallow hallow bookworm he will b burnt. No argument. My dad told me, only fools argue.
Subas Bose: Let it be ..Advaitvad says accept everyone ..
Hima Agni: Thatz what I been showing on his face. U gotta realize as soul not copy paste. There is no point
Subas Bose He got his own knowledge ...let it be..the moment you realize he is gasbag ..leave him..Narendra Setty is smart in that
Hima Agni If he has no manners to accept his inability he has no right to talk where he doesn't deserve to be. Realized is Hindu not the reciters. ALSO Hez not eaten a laddu how will he gain jnanamruta
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