Tuesday 13 January 2015

आश्चर्य नहीं कीजिए कि अधिकांश लोग सत्य को जानने के भी इच्छुक नहीं दिखाई देते



फेसबुक पर मेरे मित्र श्री मनोहर भूटानी ने मेरी पुरानी पोस्टें पढ़ीं तो लिखाः I am surprised why the people from different religion has not pounced on you. They have just given you likes that too on single digit. I appreciate your research, your approch, your point of view. For certain points I may be having a different point of view but I respect your effort for that particular point of view or a diverse approch but I will try to learn from you.

मेरे मित्र को आश्चर्य है इस बात पर कि मेरी पोस्टें पढ़ने के बावजूद मुझको थोड़े से लाईक ही मिलते हैं। मित्रवर, मुझे जरा भी आश्चर्य नहीं है। मुझे आश्चर्य तो जब होगा जब तेजी से ईश्वर के मार्ग से विचलित होता यह समाज सीधे रास्ते पर जाएगा। क्यूंकि हर धर्म के मानने वालों का जो हाल मैं देख रहा हूं उसके बाद बहुत बड़े करिश्मे से कम होगा जब अधिकतर लोग अपनी अपनी ईश्वरीय किताबों में से ईश्वर अर्थात अल्लाह तक पहुंचने की रस्सी अर्थात उस सीधे रास्ते को पहचान लेगें जिसपर चलकर मोक्ष अर्थात निजात की प्राप्ति होती है। आज शैतान अर्थात तमस अर्थात मारा अर्थात satan ने उस मार्ग से हम को इतना दूर कर दिया है और ऐसी भूल भूलय्या में डाल दिया है कि सीधा रास्ता पहचान लेना किसी करिश्मे से कम नहीं है।

परन्तु ऐसा होगा इसका मुझे यकीन इसलिए है क्योंकि हर ईश्वरीय किताब में यह भविष्यवाणी है कि जिस समय कालकी अवतार अर्थात मेहदी अर्थात मैशियाज अर्थात क्वेटजाल्कोटल आएगें तो लोग अपनी अपनी ईश्वरीय किताबों से पहचान लेंगे कि यह वही ईश्वर के दूत हैं जिनके रास्ते पर मोक्ष अर्थात निजात अर्थात salvation है। जो हिन्दू मानते हैं कि कालकी अवतार के आने पर सब ओर सनातन धर्म फैल जाएगा, जो मुसलमान मानते हैं कि मेहदी के आने पर हर ओर इस्लाम फैल जाएगा, जो यहूदी मानते हैं कि मैशियाज के आने पर सारी दुनिया पर यहूदियों की हुकूमत होगी और जो ईसाई समझते हैं कि जब आसमान की बादशाही आएगी तो हर ओर ईसाई ही ईसाई दिखाई देंगे, वह सब झूठे साबित होंगे परन्तु वह ईश्वरीय किताबें जिन में लिखा है कि एक दूत आएगा वे सच्ची साबित हो जाएंगी। हिन्दू देखेंगे कि हर कोई वेदों और गीता के मार्ग पर गया, मुसलमान देखेंगे कि हर कोई कुरान के रास्ते पर गया, यहूदी देखेंगे कि हर कोई तौरेत के रास्ते पर गया और ईसाई देखेंगे कि आसमान की बादशाही की भविष्यवाणी सच्ची साबित हो गयी। क्यों? क्योंकि हर मानने वाला अपनी अपनी किताब में हक को पहचान लेगा और उसको साफ दिखाई देने लगेगा कि एक ही सीधा मार्ग है जो विभिन्न जबानों और अलग अलग समय पर आई किताबों में दिखाया गया था परन्तु उस मार्ग से विचलित होकर हम ने विभिन्न धर्म और अलग अलग फिरके बना लिये।

मैं वर्षों से विभिन्न माध्यमों से ईश्वर के सीधे रास्ते को पेश करने की कोशिश करता रहा हूं परन्तु इतने वर्षों में हालात खराब से खराब ही होते गये। असंख्य लोगों ने मेरी पोस्टों को लाईक किया, मुझ से क्हा कि आप बड़ी अच्छी बात करते हो, परन्तु फिर से वापिस अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में लौट गये। दरअस्ल यह लोग बोलते तो हैं कि ईश्वर है परन्तु सही मायनों में वे जानते ही नहीं कि सृष्टि का रचियता कितना बड़ा है कितना बलवान है और हमारे कितना करीब है। दूसरी ओर ऐसे भी असंख्य लोग मिले जो बाप दादा के धर्म में ऐसा डूबे हुए हैं कि उसके विपरीत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं और मेरे विचारों से सहमत नहीं हैं।

जब से मुझे सीधा रास्ता मिला है, मैं गर्व से कह सकता हूं कि मेरा धर्म वेद और गीता का धर्म है, कुरान और अहलेबैत का धर्म है, मूसा, बुद्ध और यसूअ ने जो मार्ग दिखाया वह मेरा मार्ग है परन्तु आज के हिन्दुओं ने धर्म को जैसा समझा वह मेरा धर्म नहीं, आज के मुसलमान जिस मार्ग पर चलते दिखाई देते हैं वह मेरे मार्ग से विचलित है और आज के यहूदियों और ईसाईयों को अपनी अपनी किताबों से कई मायनों में विचलित पाता हूं।

सारी सृष्टि के रचियता ने विभिन्न लोगों में ईश्वरीय दूत और किताबें भेजीं परन्तु वे सब एक ही मार्ग को दर्शाती रहीं और एक ही रस्सी की ओर इशारा करती रहीं जिसपर चलकर मोक्ष अर्थात निजात मिल सकती थी परन्तु हर समय में जुलमत अर्थात तमस अर्थात शैतान ने हमको उस मार्ग से विचलित कर दिया। मैं ने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा था कि कैसे पैगम्बर मौहम्मद के देहान्त के कुछ ही अन्तराल बाद मुसलमान इस्लाम से दूर भटक गये थे। उसी प्रकार मैं साबित कर सकता हूं कि बुद्ध के देहान्त के तुरन्त बाद जो 14 दिनों तक उनके अनुयायी खुशी मनाते रहे, नाचते गाते रहे, उसी समय वे उनके मार्ग से विचलित होकर नये धर्म की नींव डालने में लग गये। इसी प्रकार ईश्वर द्वारा भेजी गयी एक एक किताब को पकड़ कर हिन्दुओं, यहूदियों और ईसाईयों ने अपना अपना धर्म बना लिया और भूल गये कि परमात्मा अर्थात नूर अर्थात रूह सारी सृष्टि को जन्म देने वाला है और यह बात उसके इंसाफ के विपरीत होगी यदि वह कुछ लोगों में तो किताबें और दूत भेजे और कुछ में नहीं। क्या यह उसके इंसाफ के अनुसार होगा यदि वह एक मासूम बच्चे को उस जगह या उन लोगों में पैदा कर दे जहां उसने रास्ता दिखाया ही हो।

पहले पहल मुझे लगता था कि जरा सा राह दिखाने पर लोग पहचान जाएंगे कि यही सीधा रास्ता है जो हर ईश्वरीय किताब में साफ साफ बताया गया है जिसको अभी तक हम पहचान नहीं पाये थे। परन्तु धीरे धीरे मुझे अहसास हो चला कि यह आसान नहीं है। कारण?

कारण यह कि हम कलयुग में जी रहे हैं! उपनिषद में है कि जो आज्ञाकारी सत्यमार्ग पर चलने वाली आत्माएं धरती पर थीं वे तो सत्ययुग में ही आत्मा के उत्थान के उस लेवल पर पहुंच गयीं जो मोक्ष प्राप्ति का लेवल है और इस दुनिया के वास से निकलकर स्वर्ग में पहुंच गयीं। बची रह गयीं वे आत्माएं जो किसी किसी कमी के कारण पाकीजगी के उस लेवल तक नहीं पहुंच सकीं जहां से उन्हें मोक्ष अर्थात निजात मिल सकता था। इसलिए ऐसी आत्माएं इस दुनिया के बंधन से मुक्त ही नहीं हो सकीं। धीरे धीरे उन्हें बीमारियों ने घेर लिया। यह बीमारियां ऐसी थीं कि पहले तो इनसे छुटकारा पाना आवश्यक था, तब ही मनुष्य रूहानी इरतेका अर्थात आत्मा के उत्थान के मार्ग पर अग्रसर हो सकता था। आत्मा पाक नहीं बल्कि दूषित होती गयी यहां तक कि इस दुनिया से निकलने हेतु आवश्यक पाकीजगी पाने लाएक ही नहीं रह गयी। आज जो आत्माएं अर्थात रूहें धरती पर रह गयी हैं यह वह रूहें हैं जो शताब्दियों से पृथ्वी पर हैं परन्तु इस लाएक नहीं हो पाईं कि इस धरती के वास से बाहर निकल सकें। जिस रस्सी को पकड़कर अर्थात जिस मार्ग पर चलकर हमें मोक्ष प्राप्ति हो सकती थी, शैतान अर्थात तमस अर्थात जुलमत ने हमको उस मार्ग से इतना दूर ढकेल दिया कि हम चक्कर काट रहे हैं और सीधे रास्ते को नहीं पहचान पा रहे हालांकि वह रास्ता हमारे पास भेजी गयी ईश्वरीय किताबों में साफ साफ दिखाया गया है।

पैगम्बर मौहम्मद ने भी अपनी एक हदीस में इसी बात की ओर इशारा किया है। वह कहते हैं कि आखिरी जमाने में अच्छे लोग नहीं बचेंगे और जो लोग बचे रह जाएंगे वे बदतरीन लोग होंगे, ऐसे जैसे भूसा या कूड़ा कड़कट और अल्लाह उनकी जरा भी परवाह नहीं करेगा। उपनिषद ने जो कहा था, पैगम्बर मौहम्मद का कथन भी उसी ओर इशारा करता है कि जो अच्छी रूहें थीं वे पहले ही निजात पाकर निकल गयीं और आखिरी जमाने में जो रूहें बची रह जाएंगी वे सबसे बदतरीन रूहें होंगी। एक और हदीस में पैगम्बर मौहम्मद बताते हैं कि कैसे आखिरी जमाने में अलग अलग अच्छाईयां इंसान का साथ छोड़ देंगी। पैगम्बर मौहम्मद दस चीजों के नाम लेते हैं और बताते हैं कि कैसे ईमान, शरम, आदि एक के बाद एक करके लुप्त हो जाएंगी। यह हदीस भी उपनिषद के कथन की पुष्टि करती है।

यही बात मत्ती की इंजील में यसूअ कहते हैंः

और उनके हक़ में यसीयाह की ये पेशिंगोई पूरी होती है कि
तुम कानों से सुनोगे पर हरगिज़ समझोगे
और आँखों से देखोगे पर हरगिज़ मालूम करोगे
क्यांकि इस उम्मत के दिल पर चर्बी छा गई है
और वो कानों से ऊँचा सुनते हैं
और उन्होंने अपनी आँखें बन्द कर ली हैं

वह आगे कहते हैंः

जब कोई बादशाही का कलाम सुनता है और नहीं समझता तो जो उस के दिल में बोया गया था उसे वो शरीर अर्थात शैतान आकर छीन ले जाता है। ये वो है जो राह के किनारे बोया गया था। और जो पथरीली ज़मीन में बोया गया ये वो है जो कलाम को सुनता है और उसे फिलफौर ख़ुशी से क़ुबूल कर लेता है। लेकिन अपने अन्दर जड़ नहीं रखता बल्कि चँद रोज़ा है और जब कलाम के सबब से मुसीबत या ज़ुल्म बरपा होता है तो फिलफौर ठोकर खाता है। और जो झाडि़यों में बोया गया ये वो है जो कलाम को सुनता है और दुनिया की फिक्र और दौलत का फरेब उस कलाम को दबा देता है और वो बेफल रह जाता है। और जो अच्छी ज़मीन में बोया गया ये वो है जो कलाम को सुनता और समझता है और फल भी लाता है, कोई सौ गुना फलता है, कोई साठ गुना कोई तीस गुना।

यसूअ का यह कथन बताता है क्यों आज के जमाने में हमें परवाह भी नहीं कि ढूंढें की सीधा रास्ता क्या है?

यही बात कुरान में सूरह बकर में कही जाती हैः ‘‘बेशक जिन लोगों ने कुफ्र इखतेयार किया अर्थात सत्यमार्ग को झुठलाया उनके लिए बराबर है चाह तुम उन्हें डराओ या डराओ वह ईमान लाएंगे। उनके दिलों पर और उनके कानों पर खुदा ने मोहर लगा दी है कि ये सीधे रास्ते को पहचानेंगे और उनकी आंखों पर परदा पड़ा हुआ है और उन्हीं के लिए बहुत बड़ी सजा है।
और कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो कहते तो हैं कि हम खुदा पर और कयामत पर ईमान लाये हालांकि वह दिल से ईमान नहीं लाये। खुदा को और उन लोगों को जो ईमान लाए धोका देते हैं हालांकि वह अपने आपको धोका देते हैं और कुछ अकल नहीं रखते हैं। उनके दिलों में बीमारी थी ही अब खुदा ने उनकी बीमारी को और बढ़ा दिया और क्यूंकि वह लोग झूठ बोला करते थे इसलिए उनपर तकलीफ देह अजाब है।’’

कैसे लोग नूर अर्थात परमात्मा के रास्ते से भटक कर जुलमत अर्थात शैतान के रास्ते पर लग जाते हैं यह भी कुरान ने बताया है जब वह कहता है किः खुदा उन लोगों का सरपरस्त है जो ईमान ला चुके कि उन्हें जुलमत अर्थात तमस से निकाल कर नूर अर्थात सात्विक अर्थात रौशनी में लाता है और जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया अर्थात सत्य को झुठलाया उनके सरपरस्त शैतान हैं कि उनको सात्विक अर्थात नूर से निकाल कर जुलमत अर्थात तमस में डाल देते हैं यही लोग जहन्नुमी अर्थात नरकवासी हैं और यह उसमें हमेशा रहेंगे।

आप ने देखा कि कैसे विभिन्न ईश्वरीय किताबें और दूत यह तक बता रहे हैं कि आखिरी जमाने में क्यों लोग सत्य और सत्यमार्ग से दूर होते जाएंगे। इसलिए आश्चर्य नहीं कीजिए कि अधिकांश लोग सत्य को जानने के भी इच्छुक नहीं दिखाई देते।

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