यश राथोड़ ने मौहम्मद के चरित्र के बारे में अनाप शनाप लिखा तो आकिब खां ने ‘इंद्र भगवान’ के बारे में वैसा ही कुछ लिख डाला। दोनों के कथनों को यहां लिखना उचित नहीं है। पर मौहम्मद अलवी यह कहता हैः आकिब खां, जो लोग ऐसा लिख रहे हैं वह अब तक वेद और कुरान का रिश्ता नहीं जान पाए हैं। उन्होंने वेद, उपनिषद और गीता को सही से समझा ही नहीं है और इसलिए मौहम्मद के बारे में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। पर कुरान तो साफ शब्दों में कह रहा है कि इससे पहले जो किताबें भेजी गईं उन में और कुरान कोई अन्तर नहीं करो। फिर तुम कैसे इंद्र देव के बारे में ऐसा कुछ लिख सकते हो। जो दूसरे लिख रहे हैं उन्हें लिखने दो। ईसाई और यहूदी भी तो मौहम्मद के बारे में ऐसा ही लिखते हैं। पर तुम ईसा और मूसा के बारे में कुछ कैसे कह सकते हो जब्कि तुम जानते हो कि वह भी उसी परवरदिगार की ओर से भेजे गए अवतार थे जिसने मौहम्मद को भेजा। ऐसा ही तुम इंद्र, कृष्ण या राम के बारे में भी नहीं कह सकते। इंद्र का वर्णन तो वेदों में भरा पड़ा है और वेद के भी आसमानी किताब होने में कोई शक नहीं। इंद्र के बारे में जो बातें मशहूर हैं वह शैतान अर्थात जुलमत की ओर से मशहूर कराई गई हैं ताकि हम कभी भी इंद्र की सच्चाई को न पहचान सकें। क्या ऐसा हो सकता था कि परमात्मा की ओर से आई हुई किताब ऐसे देवताओं को पहचनवाए जिनका चरित्र वैसा था जैसा कि हिन्दुओं में गाथाएं फैली हैं? यह सब इसलिए हुआ कि हिन्दुओं ने उस जमाने की हर किताब को पवित्र मान लिया जब्कि उपनिषद, वेद और गीता के अतिरिक्त किसी भी किताब को आंखें बंद करके नहीं माना जा सकता।
इंद्र देवताओं के सरदार हैं, वह नूर अर्थात दिव्य से बने हैं और जब मानव शरीर में आए तो मौहम्मद कहलाए। जुलमत ने ऐसे हालात पैदा किए कि मौहम्मद के चरित्र के बारे में वही सब कुछ मशहूर करा दिया जो इंद्र के बारे में कराया था। क्यों? क्योंकि मौहम्मद और इंद्र एक ही थे और उनको न पहचाना जाए इसके लिए जो ताकत काम कर रही थी वह भी एक ही थी अर्थात जुलमत यानी शैतान अर्थात बुद्ध के अनुसार ‘मारा’।
यश राथौड़, अब तो यह साबित हो चुका कि वेद भी आने वाले समय में मौहम्मद को ही पहचनवा रहे हैं। मौहम्मद को बुरा भला कह कर तुम वेद को धरती पर भेजने वाले परमात्मा को क्या मुंह दिखाओगे। यह जानकारी सामने आने के बाद अब तुम पर फर्ज है कि वेद को फिर से सच्चे दिल से समझने की कोशिश करो। यदि तुम उस में मौहम्मद न पाओ तो तुम्हारा उनको बुरा भला कहना जाएज, यदि पा जाओ और फिर तुम ने सत्य को छिपाया तब तुम काफिर कहलाओगे। क्योंकि किसी धर्म विशेष को मानने वाला काफिर नहीं होता, सत्य को जानते हुए छिपाने वाला काफिर होता है।
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